#हरदोई:- सीओ ने भारतीय आरटीआई एक्ट का किया उल्लंघन, पुलिस महानिरीक्षक दफ्तर भेजी भ्रामक सूचना, पीड़ितों के बयान लिए वगैर आरोपी पुलिस कर्मियों के लिख लिए बयान, आरक्षी ड्राइवर राजेश यादव की तैनाती और ड्यूटी में लगाई फेरबदल की भ्रामक आख्या#
#हरदोई:- सीओ ने भारतीय आरटीआई एक्ट का किया उल्लंघन, पुलिस महानिरीक्षक दफ्तर भेजी भ्रामक सूचना, पीड़ितों के बयान लिए वगैर आरोपी पुलिस कर्मियों के लिख लिए बयान, आरक्षी ड्राइवर राजेश यादव की तैनाती और ड्यूटी में लगाई फेरबदल की भ्रामक आख्या#
#हरदोई:- सीओ ने भारतीय आरटीआई एक्ट का किया उल्लंघन, पुलिस महानिरीक्षक दफ्तर भेजी भ्रामक सूचना, पीड़ितों के बयान लिए वगैर आरोपी पुलिस कर्मियों के लिख लिए बयान, आरक्षी ड्राइवर राजेश यादव की तैनाती और ड्यूटी में लगाई फेरबदल की भ्रामक आख्या#
#हरदोई:- सीओ ने भारतीय आरटीआई एक्ट का किया उल्लंघन, पुलिस महानिरीक्षक दफ्तर भेजी भ्रामक सूचना, पीड़ितों के बयान लिए वगैर आरोपी पुलिस कर्मियों के लिख लिए बयान, आरक्षी ड्राइवर राजेश यादव की तैनाती और ड्यूटी में लगाई फेरबदल की भ्रामक आख्या#
#हरदोई: खबर बड़ी है मगर दिलचस्प है।क्योंकि ये खबर यूपी पुलिस और सीओ हरियावां शिल्पा कुमारी से जुड़ी है।दरअसल पुलिस महानिरीक्षक लखनऊ के कार्यालय में एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत 5 दिसम्बर 2022 को आवेदन भेजकर एक सूचना माँगी थी। सूचना जनपद हरदोई के पुलिस महकमे से सम्बन्धित थी इसलिए लखनऊ पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय के जन सूचना अधिकारी ने आवेदक की सूचना की जवाबेही के लिए कार्यालय पुलिस अधीक्षक हरदोई के जन सूचना अधिकारी को पत्र भेजकर निर्देशित किया कि आवेदक को समय से सूचना उपलब्ध कराते हुए एक प्रति मेरे कार्यालय में प्रेषित की जाए।जनपद हरदोई में जन सूचना के लिए नामित नोडल अधिकारी अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी ने सहायक जन सूचना अधिकारी सीओ हरियावां शिल्पा कुमारी से आख्या तलब की। शिल्पा कुमारी ने पीड़ितों के बयान लिए वगैर आरोपी पुलिस कर्मियों के बयान अंकित कर जो आख्या प्रेषित की है उसके अवलोकन से ये साबित हो रहा है कि कोतवाली पिहानी में तकरीबन 8वर्षों से ड्यूटी कर रहा एक आरक्षी ड्राइवर राजेश यादव है जिसके बयानों में सण्डीला दर्शाकर पिहानी में साढ़े 4वर्ष से तैनाती लिखाई गई है।यदि ये सही है तो आरक्षी ड्राइवर राजेश यादव पिहानी में ड्यूटी करके पूरे महकमे को गुमराह कर रहा है और यदि ये सूचना गलत है तो क्या ये समझा जाए कि शिल्पा कुमारी के जवाब को अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी हरदोई ने बिना पढ़े मार्क करके पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय में सूचना प्रेषित की है। अथवा ये माना जाए कि पुलिस महकमे में वर्दीधारियों के लिए भारतीय संविधान में अधिनियमित उच्च न्यायालय व न्यायाधीश एवं आरटीआई एक्ट की गरिमा शून्य है। क्यूँकि ये मामला यूपी पुलिस के उन चार पुलिस कर्मियों से जुड़ा है जिन्होंने कोतवाली पिहानी में तैनाती के दौरान वर्ष 2019 में मिलकर अपने अनैतिक आचरण से समूचे क्षेत्र की भोली- भाली जनता का असंवैधानिक उत्पीड़न व शोषण एवं अन्याय किया है।अब ये चारों पुलिस कर्मी किसी भुक्तभोगी निर्दोष व्यक्ति के द्वारा दायर परिवाद में आए सम्मन के जरिए न्यायालय में बुलाए जा रहे हैं तो मारे डर के दण्ड से बचने के लिए झूठे अभिलेखीय प्रमाण- पत्र बनाकर उच्च अधिकारियों से लेकर उच्च न्यायालय तक लेकर जा रहे हैं ये हुनर वे चारों स्वयं को दण्ड से बचाने के लिए चला रहे हैं।उपरोक्त वर्णित चारों पुलिस कर्मी आज भी जान बूझकर झूठे प्रमाण- पत्र तैयार करके अपराध पर अपराध किए जा रहे हैं।जिसमें सहायक जन सूचना अधिकारी सीओ हरियावां उनके अपराध पर पर्दा डालकर उनको विभागीय कार्रवाई से बचा रही हैं। जबकि अपराधी को संरक्षण देने पर अपराधियों के अपराध के बराबर जुर्म होता है। इन भृष्टाचारियों ने पुलिस सेवा में रहकर अनैतिक आचरण व असंवैधानिक उत्पीड़न की गतिविधियाँ विद्यमान कर उत्तर- प्रदेश पुलिस महकमे को बदनाम और न्यायपालिका को गुमराह किया है अब दण्ड प्रक्रिया से बचने के लिए झूठे अभिलेखीय प्रमाण- पत्र तैयार किए फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर करके न्यायधीश को गुमराह करने की कुचेष्टा की है जोकि न्यायपालिका का घोर अपमान है। सीओ हरियावां ने गलत व भ्रामक सूचना देकर आरटीआई एक्ट का उल्लंघन करते हुए आरटीआई एक्टिविस्ट आवेदक व पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय के जन सूचना अधिकारी को भी ठेंगा दिखाया है। क्या जन सुरक्षा के जिम्मेदार व कानून के रखवालों को पुलिस रेगुलेशन एक्ट व भारतीय संविधान का नहीं है। ज्ञान?जोकि जानबूझकर आरोपी पुलिस कर्मियों के अपराध पर पर्दा डालकर बन रहे हैं अंजान#
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