Breaking News

#हरदोई:- फसल अवषेश जलाने से पर्यावरण एवं भूमि को हो रहे नुकसान से जागरूक किया गया#


#हरदोई:- फसल अवषेश जलाने से पर्यावरण एवं भूमि को हो रहे नुकसान से जागरूक किया गया#

#हरदोई: राश्ट्रीय हरितअधिकरण द्वारा फसलअवषेश/पराली में आग लगानादण्डनीय अपराध घोशित किया गया है। उसकेतहत 02 एकड़ तक रू0-2500.00, 05 एकड़ तक रू0-5000.00 एवं 05 एकड़ सेअधिकहोनेपर रू-15000.00 अर्थदण्ड का प्राविधान है। कही भी फसलअवषेश/पराली की घटना न हो इसके लिए पुलिसविभाग, राजस्वविभाग एवं कृशि विभाग की टीम द्वारा प्रतिदिन संवेदनषील ग्रामों का भ्रमण किया जा रहा है तथा किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। आज विकास खण्ड-बावन में फसल अवषेश प्रबन्धन पर प्रमोशनआफ#

 #एग्रीकल्चरमैकेनाइजेशनफारइनसीटूमैनेजमेन्टआफक्रापरेज्ड्यू योजनान्तर्गत विकास खण्डस्तरीय गोश्ठी का आयोजन मुख्य अतिथि के रूप श्रीमती षिवा सिंह, मा0 ब्लाक प्रमुख एवं समाज सेवी श्री धर्मेन्द्र सिंह गोश्ठी में उपस्थित में किया गया। रउक्तगोश्ठीमेंमा0 ब्लाकप्रमुख ने किसानों को फसल अवषेश जलाने से पर्यावरण एवं भूमि को हो रहे नुकसान से जागरूक किया गया तथा किसानों को पराली न जलाने की अपीलभीकी।डा0 नन्दकिषोर, उप कृशि निदेषक द्वारा किसानों को बताया कि किसान भाई फसल अवषेश् ासेकम्पोस्ट खादबनाकर प्रयोग करने से खेत की उर्वरा षक्तिमेंवृद्धि होती है तथा भूमि मेंला भदायकजीवाणु की संख्या में वृद्धि होती है। किसान भाई फसल अवषेश प्रबन्धनहेतु 50 प्रतिषत एवं 80 प्रतिषत अनुदानपर कृशि यंत्र सुपरसीडर, मल्चर, हैप्पीसीडर, पैडीस्ट्राचापर, बेलर, श्रबमास्टर, ष्लेसर, आदि यंत्र अनुदानपरक्रय सकते है, जिसके उपयोग से फसल अवषेश/परालीको खेतमेंमिलाकरमिट्टी की उवर्रा षक्ति बढ़ा सकते है। उन्होने िकसानों से आग्रह किया कि फसलअवषेश/परालीको न जलाये बल्कि गौषालाओं में पहॅचाये तथा गोबर की खाद प्राप्त करें। कृशक फसल अवषेश की दो ट्राली गोषाला को देकर बदले में एक ट्रालीगोबर की खाद प्राप्त कर सकते है, जिससेजहॉ एक ओर गौवंष को चारा मिलेगा वही दूसरी ओर किसानों को भूमि के लिए उपयोगी गोबर की खाद प्राप्त हो सकेगी। डा0 सी0पी0एन0 गौतम, वैज्ञानिक के0वी0के0 द्वारा बताया गया किपराली/फसल अवषेश जलाने से मृदाताप में वृद्धि होती है, जिसके कारण मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविकद षापर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पादप अवषेशों मेंला भदायकमित्र कीट जलकरमर जाते है, जिसके कारण वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। फसल अवषेश को जलाने से किसानों की नजदीकी फसलों में और आबादी में आग लगने की सम्भावना बनी रहती है। वायुप्रदूशण में अनेक बीमारियॉ तथा धुंध के कारण दुर्घटनाएं हो सकती हैं। उन्होने पराली को सड़ाकर खाद बनाने की विधि भी बताई। उन्होने बताया कि वेस्टडिकम्पोजर की एक सीसीको 200 लीटरपानी एक ड्रममेंमिलाएंउसमें 02किलोग्राम गुड़ घोलकर किसी छायादा रस्थान पर रखकर लकड़ी से सुबह-षाम घोले, जिससे 48 घण्टेमें यह घोल तैयार हो जायेगा। इस घोल का पराली/कूड़ा-करकट पर छिड़काव करें। डा0 रामप्रकाष, खण्ड विकास अधिकारी द्वारा ग्राम प्रधानों को संकल्पित कराया कि अपने ग्रामों में फसल अवषेश न जलाने हेतु कृशकों को जागरूक करने के लिए गोश्ठियों का आयोजन करायेगें तथा किसानों के मध्य इसका व्यापक प्रचार-प्रचार करेगें#

#उपरोक्त की तरह विकास खण्ड सुरसा में भी दिनांक 21. 09. 2024 को प्रमोशन आफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फारइनसीटू मैनेजमेन्ट आफ क्रापरेज्ड्यू योजनान्तर्गतविकास खण्डस्तरीय गोश्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि श्री धनंजय मिश्र , प्रतिनिधि ब्लाक प्रमुख, सुरसा द्वारागोश्ठी का षुभारम्भ किया गया। जिलाधिकारी महोदय के निर्देषानुसार दिनांक 21.09.2024 को जनपद के समस्त विकास खण्डों पर उपरोक्त की तरह फसल अवषेश प्रबन्धन पर विकास खण्ड स्तरीय गोश्ठी का आयोजन किया गया है, जिसमें मा0 ब्लाक प्रमुख,जनप्रतिनिधि, खण्ड विकास अधिकारी, उप सम्भागीय कृशि प्रसार अधिकारी, सभी सहायक विकास अधिकारी (कृशि/कृशि रक्षा), सभीप्रभारी, राजकीय कृशि बीजभण्डार, क्षेत्रीय कर्मचारी एव भारी संख्या में किसान उपस्थित रहें#

No comments