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#हरदोई:- तना छेदक कीट का प्रकोप होने पर मो0-9984444422 जानकारी दें/ सुभाष चन्द्र#


#हरदोई:- तना छेदक कीट का प्रकोप होने पर मो0-9984444422 जानकारी दें/ सुभाष चन्द्र#

#हरदोई: जिला उद्यान अधिकारी सुभाष चन्द्र ने बताया है कि जिन आम बागवानों के बाग में पेड़ों में तना छेदक कीट का प्रकोप हो गया है, वह आम बागवान कुछ सावधानियां अपना कर आम के पेड़ को रोग से बचा सकते हैं। आम का तना छेदक यद्यपि यह तनां छेदक ज्यादा नहीं पाया जाता पर जहां और जब इसका प्रकोप होता है वहां आन, अंजीर व शहतूत आदि के वृक्षों को भी यह नष्ट कर देता है। इस कीट के प्रौढ 5-6 सैं.मी. लम्बे एवं मजबूत होते हैं तथा इनकी टांगें एवं एंटीना काफी लम्बे होते हैं। तना छेदक की सूंडियां 6 से 8 सैं.मा. लम्बी, मजबूत व पीले सफेद रंग की होती हैं एवं इनके मुखांग बहुत मजबूत होते हैं। ये सूंडियां तनों व शाखाओं में छाल के नीचे लकड़ी में सुरंग बनाकर उसको अन्दर ही अन्दर खाती हैं। ये सूण्डियां लकड़ी के रेशों को खाने के बजाय काटती ज्यादा हैं। सुरंग के छेद से तेल जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है। इस कीट से प्रकोपित तने एवं शाखाएं कमजोर हो जाते हैं जिससे पत्तियां गिर जाती हैं एवं तेज हवा में तने टूट जाते हैं। प्रौढ शाखाओं की छाल खाते हैं। इसके नियन्त्रण के लिए प्रकोपित तनों एवं शाखाओं को काटकर जला दें, ताकि इसके अन्दर छिपी सूंडिया एवं प्यूपे मर जाए। सुराख पर से बुरादा (फ्रास) को हटाकर, उसमें 10 मि.ली. मिथाइल पैराथियान इमल्शन (4 मि.ली. मैटासिड 50 ई.सी. को एक लीटर पानी में) डालकर मिट्टी से बन्द कर दें। बुरादा निकल रहे स्थान पर इमिडाक्लोप्रिड नामक दवाई के घोल को रुई में भिगोकर छिद्र वाले स्थान साइकिल की तीली से छिद्र के अन्दर रख दें और मिटटी का लेप लगा दें। कमजोर एवं मर रही टहनियों तथा उखाड़े हुए वृक्षों को जला दें। अधिक जानकारी के लिए बागवान मोबाइल नम्बर 9984444422 पर या कार्यालय आकर सम्पर्क कर सकते हैं#

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