#लखीमपुर:- खीरी- कस्ता विधानसभा में हार की हैट्रिक से बचने को सपा को नए चेहरे की तलाश#
#लखीमपुर:- खीरी- कस्ता विधानसभा में हार की हैट्रिक से बचने को सपा को नए चेहरे की तलाश#
#सुनील भार्गव (लाला) की लगातार दो चुनावों में हो चुकी है हार, भाजपा का मजबूत किला बनती जा रही कस्ता सीट#
#लखीमपुर: खीरी- जिले की कस्ता विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी को एक और हार से बचने की चुनौती सामने है। लगातार दो विधानसभा चुनाव हार चुके सपा प्रत्याशी सुनील भार्गव उर्फ लाला को लेकर अब पार्टी के भीतर ही सवाल उठने लगे हैं। भाजपा के बढ़ते जनाधार और लगातार मजबूत होती पकड़ के बीच समाजवादी पार्टी अब यहां नए, दमदार और स्थानीय जनता में प्रभावशाली चेहरे की तलाश में जुट गई है#
#2017 और 2022 के चुनावों में सपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे सुनील भार्गव को भाजपा उम्मीदवारों से करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं दूसरी ओर, भाजपा ने यहां अपने संगठनात्मक ढांचे और बूथ स्तर की रणनीति से अपना गढ़ और भी मजबूत कर लिया है#
#भाजपा की बढ़ती पकड़#
#कस्ता विधानसभा सीट पर भाजपा ने बीते वर्षों में न सिर्फ विकास कार्यों का हवाला देकर जनता का भरोसा जीता, बल्कि जातीय समीकरणों और सोशल इंजीनियरिंग में भी सफलता हासिल की। परिणामस्वरूप, भाजपा उम्मीदवारों को यहां मतदाताओं का भरपूर समर्थन मिला#
#सपा में मंथन शुरू#
#लगातार हार के बाद अब सपा के स्थानीय और जिला स्तर के नेता एक स्वर में यह कह रहे हैं कि परंपरागत चेहरे पर दांव खेलना अब खतरे से खाली नहीं है। सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व को यह संकेत भेजे गए हैं कि 2027 के चुनाव में कोई नया, साफ छवि वाला और जमीनी कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाया जाए, जो भाजपा को सीधी टक्कर दे सके#
#कस्ता सीट का महत्व#
#कस्ता विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम मानी जाती है। यह सीट ग्रामीण, पिछड़ा, दलित और मुस्लिम मतदाताओं के निर्णायक वोटों के कारण हमेशा से सियासी दलों के लिए चुनौती रही है। भाजपा ने इन वर्गों में भी अपनी पैठ बना ली है, जिससे सपा को झटका लगा है#
#आगामी चुनाव की तैयारी#
#राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर समाजवादी पार्टी को कस्ता में वापसी करनी है, तो उसे समय रहते संघठन को सक्रिय करना, मूल मुद्दों को उठाना, और प्रभावी चेहरे के साथ जनता के बीच जाना होगा। वरना तीसरी बार हार की हैट्रिक तय मानी जा रही है#
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