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#हरदोई:- का अनोखा विद्यालय : शिक्षा के साथ संस्कारों की भी मिल रही है सीख#


#हरदोई:- का अनोखा विद्यालय : शिक्षा के साथ संस्कारों की भी मिल रही है सीख#

#नई पीढ़ी को संस्कारवान बना रहा है श्री डाल सिंह मेमोरियल पब्लिक स्कूल#

#हरदोई: जिस दौर में आधुनिक शिक्षा और तकनीक पर जोर दिया जा रहा है, उसी दौर में हरदोई का श्री डाल सिंह मेमोरियल पब्लिक स्कूल परंपरा और संस्कृति की अनोखी मिसाल कायम कर रहा है। यहां बच्चों को सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों से जोड़ने की विशेष पहल की जा रही है। विद्यालय का प्रयास है कि बच्चे आधुनिक ज्ञान तो अर्जित करें ही, साथ ही अपनी जड़ों और परंपराओं को भी न भूलें#

#विद्यालय में प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन होता है। इसमें छात्र-छात्राएँ और शिक्षक मिलकर भक्ति भाव से चालीसा गाते हैं। इस अनूठी परंपरा का उद्देश्य है कि बच्चे अध्यात्म से जुड़े रहें और उनमें अनुशासन व आचरण की नींव मजबूत हो। विद्यालय प्रबंधन का मानना है कि यह अभ्यास न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व विकास में भी सहायक सिद्ध होता है#

#इस विद्यालय की एक और विशेषता है अभिवादन की अनूठी परंपरा। यहाँ बच्चों को ‘हाय-बाय’ या ‘टाटा-बाय-बाय’ नहीं सिखाया जाता, बल्कि उन्हें ‘राधे-राधे’ और ‘जय सियाराम’ कहकर संवाद करने की आदत डाली जाती है। बच्चे जब सुबह घर से विद्यालय आते हैं तो माता-पिता और परिजनों को ‘राधे-राधे, जय सियाराम’ कहकर विदा लेते हैं। विद्यालय पहुँचने पर अपने सहपाठियों और शिक्षकों का भी इसी संबोधन से अभिवादन करते हैं#

#इस पहल के पीछे शिक्षकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। वे बच्चों को केवल किताबों तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उन्हें जीवन मूल्यों और व्यवहार की भी शिक्षा देते हैं। विद्यालय के प्रबंधकों का कहना है कि शिक्षा तभी पूर्ण मानी जाएगी जब उसमें ज्ञान के साथ संस्कार भी शामिल हों। यही कारण है कि यहाँ पढ़ने वाले छात्र अपनी दिनचर्या में आचार-विचार और अध्यात्म को भी शामिल करते हैं#

#विद्यालय की इस पहल की चर्चा पूरे क्षेत्र में है। अभिभावक भी प्रसन्न हैं कि उनके बच्चे आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े रह रहे हैं। यह प्रयोग शिक्षा जगत के लिए एक प्रेरणादायी उदाहरण बनता जा रहा है#

#संस्कार-परक शिक्षा का केंद्र#

#जहाँ किताबों से मिले ज्ञान का साथ, वहीं संस्कार बनें जीवन की बात। श्री डाल सिंह स्कूल ने दिखाया है रास्ता नया, जहाँ शिक्षा और संस्कृति दोनों साथ-साथ खिला रहे हैं दिया#

#क्या कहते हैं प्रबंधक#

#हमारा उद्देश्य है कि बच्चे आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कार और परंपराओं से भी जुड़े रहें। जब ज्ञान और संस्कृति दोनों मिलते हैं, तभी शिक्षा पूर्ण होती है#

#मुकेश सिंह, प्रबंधक, श्री डाल सिंह मेमोरियल पब्लिक स्कूल#

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