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#संपादकीय:- पाप कर्म का फल अटल है- मनुष्य अपने मोह, इच्छाओं और विकारों में फँसकर पाप कर्म करता रहता है#


#संपादकीय:- पाप कर्म का फल अटल है- मनुष्य अपने मोह, इच्छाओं और विकारों में फँसकर पाप कर्म करता रहता है#

#वह सोचता है कि कोई देख नहीं रहा, कोई जान नहीं रहा- परंतु यह भ्रम है#

#कर्म का फल अवश्य मिलता है, चाहे देर से ही क्यों न हो#

#यही गलत सोच हमें बार-बार पाप कर्म में लिप्त कर देती है#

#जब ये पाप कर्म स्थूल देह में बीमारियों के रूप में, संतान न होने या संतान के बुरे आचरण के रूप में लौटते हैं- तब बहुत कष्ट सहना पड़ता है#

#हमारे जीवन की हर समस्या का कारण हम स्वयं हैं#

#थोड़े से सुख के लिए पाप मार्ग पर नहीं चलना चाहिए#

#क्योंकि जब पाप का फल मिलता है, तब जीवन बड़ा कष्टदायक हो जाता है#

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