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#दिल्ली:- दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दी जानी चाहिए, मध्य प्रदेश-राजस्थान में 11 मौतों के बाद केंद्र की सख्त एडवाइजरी#


#दिल्ली:- दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दी जानी चाहिए, मध्य प्रदेश-राजस्थान में 11 मौतों के बाद केंद्र की सख्त एडवाइजरी#

दिल्लीः मध्य प्रदेश- राजस्थान- में हाल ही में खांसी की दवाओं यानी कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौतों की घटनाओं ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इन राज्यों में अब तक कम से कम 11 मासूम बच्चों की जान जा चुकी है, जिनमें से अधिकांश किडनी फेलियर की वजह से हुईं। इन दुखद हादसों के बाद केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) के माध्यम से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में साफ-साफ कहा गया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल न दें। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी इन दवाओं का उपयोग डॉक्टर की सलाह और सख्त निगरानी में ही करें। सरकार का कहना है कि कफ सिरप का अंधाधुंध इस्तेमाल बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है#

#यह मामला सबसे पहले मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से सामने आया। यहां सितंबर के पहले सप्ताह से ही बच्चों में सर्दी-खांसी के लक्षण दिखने लगे। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें कफ सिरप दिए, लेकिन कुछ ही दिनों बाद कई बच्चों की हालत बिगड़ गई। छिंदवाड़ा के परासिया क्षेत्र में वायरल फीवर से पीड़ित नौ बच्चों की मौत हो गई। इनमें पांच साल का अदनान खान भी शामिल था, जिसे 7 सितंबर को तेज बुखार और उल्टी की शिकायत पर अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने उसे कोल्डरिफ (कोल्डरेफ) नामक सिरप दिया, लेकिन अगले दिन उसकी किडनी फेल हो गई। इसी तरह, अन्य बच्चे जैसे दो साल की नेहा और तीन साल का राहुल भी इसी सिरप के सेवन के बाद गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। परिवारों का आरोप है कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से मिली यह दवा जहरीली थी। जिला कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कोल्डरिफ और नेक्सट्रो-डीएस नामक दो सिरपों की बिक्री पर रोक लगा दी। उन्होंने मेडिकल स्टोर्स को निर्देश दिए कि इन दवाओं का स्टॉक जब्त कर लिया जाए#

#छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार, सितंबर के बीच से अब तक 15 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए, जिनमें से नौ की मौत हो चुकी है। बाकी बच्चों को नागपुर के बड़े अस्पतालों में रेफर किया गया, जहां वे वेंटिलेटर पर हैं। डॉक्टरों की रिपोर्ट में पता चला कि बच्चों की किडनी में टॉक्सिन मीडिएटेड फेलियर हुआ, जो संभवतः दवा में मौजूद हानिकारक पदार्थों की वजह से था। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने गांव-गांव जाकर अभिभावकों को सतर्क किया और सिरप के नमूने भोपाल की लैब में भेजे। जबलपुर के कटारिया फार्मास्यूटिकल्स नामक वितरक पर छापेमारी हुई, जहां से छिंदवाड़ा के स्टॉकिस्टों को 594 शीशियां सप्लाई की गई थीं। चेन्नई की एक कंपनी से मंगाई गईं ये दवाएं मध्य प्रदेश के कई जिलों में बांटी गईं#

#इधर, पड़ोसी राज्य राजस्थान में भी यही सिलसिला देखने को मिला। यहां भरतपुर और सीकर जिलों में दो बच्चों की मौत हो चुकी है। सीकर के सांगानेर में 27 सितंबर को दो साल की एक बच्ची को सरकारी डिस्पेंसरी से डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप दिया गया। कुछ घंटों बाद वह बेहोश हो गई और जयपुर के मानसरोवर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती हुई। वहां आईसीयू में इलाज के बावजूद उसकी जान बच न सकी। इसी तरह, भरतपुर के बयाना से चार मामले सामने आए, जहां बच्चों को उल्टी, नींद और बेहोशी जैसे लक्षण दिखे। एक दो साल के बच्चे की जयपुर में मौत हो गई। राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) ने बैच नंबर केएल-25/147 और केएल-25/148 वाले सिरप की 22 बैचों पर रोक लगा दी। जयपुर की केसन्स फार्मा कंपनी द्वारा निर्मित यह सिरप मुख्यमंत्री की मुफ्त दवा योजना के तहत बांटा जा रहा था। चूंकि जुलाई से अब तक 1.33 लाख बोतलें वितरित हो चुकी थीं, इसलिए हड़कंप मच गया#

#राजस्थान स्वास्थ्य विभाग ने एक डॉक्टर को भी निलंबित कर दिया, जो सिरप की सुरक्षा साबित करने के चक्कर में खुद ही इसे पी लिया। वह आठ घंटे बाद अपनी कार में बेहोश मिला। विभाग ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की और नमूने राज्य ड्रग लैब में भेजे। बांसवाड़ा जिले में भी आठ बच्चे प्रभावित हुए, जिन्हें सिरप के साइड इफेक्ट्स से जूझना पड़ा। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींसर ने कहा कि डॉक्टरों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवा न दें। जन स्वास्थ्य अभियान (जेएसए) ने स्वतंत्र जांच समिति बनाने की मांग की, जिसमें क्लिनिशियन, फार्माकोलॉजिस्ट और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि शामिल हों#

#इन घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार हरकत में आ गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने संयुक्त जांच टीम भेजी, जिसमें नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजिकल (एनआईवी) और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) के विशेषज्ञ शामिल थे। टीम ने छिंदवाड़ा और सीकर का दौरा किया और पानी, सिरप तथा अन्य दवाओं के नमूने एकत्र किए। प्रारंभिक जांच में डाइएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकोल (ईजी) जैसे जहरीले केमिकल नहीं पाए गए। एक मामले में लेप्टोस्पायरोसिस नामक संक्रमण की पुष्टि हुई। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सिरप में मिलावट की आशंका खारिज हो गई है, लेकिन फिर भी सावधानी बरतना जरूरी है। डीजीएचएस की महानिदेशक सुनीता शर्मा ने एडवाइजरी में स्पष्ट किया कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ और सर्दी की कोई भी सिरप न दें। पांच साल तक के बच्चों के लिए भी डॉक्टर की सलाह अनिवार्य है। सभी अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) को गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (जीएमपी) वाली दवाओं का ही उपयोग करने का निर्देश दिया गया#

#एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि कफ सिरप बच्चों के लिए हमेशा पहली पसंद नहीं होने चाहिए। सर्दी-खांसी जैसे लक्षण अक्सर वायरल संक्रमण से होते हैं, जो अपने आप ठीक हो जाते हैं। डॉक्टरों को सलाह दी गई कि वे सिम्पटमेटिक ट्रीटमेंट जैसे हल्दी दूध, भाप लेना या पर्याप्त आराम पर जोर दें। यदि जरूरी हो तो एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाएं दें, लेकिन ओवरडोज से बचें। राजस्थान में एक मौत ओवरडोज से जुड़ी बताई गई है। मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे अपने यहां सिरप की गुणवत्ता जांच के लिए विशेष अभियान चलाएं। पुणे की एफडीए ने भी बाजार में उपलब्ध कफ सिरपों की जांच शुरू कर दी है। तमिलनाडु ने कोल्डरिफ सिरप पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और उसके स्टॉक जब्त कर लिए#

#ये घटनाएं बच्चों की दवाओं की गुणवत्ता और वितरण व्यवस्था पर सवाल खड़ी करती हैं। भारत में दवा उद्योग बड़ा है, लेकिन नकली या घटिया दवाओं की समस्या बनी हुई है। 2023 में भी यूजबेकिस्तान में भारतीय कफ सिरप से बच्चों की मौतें हुई थीं, जिसके बाद सीडीएससीओ ने सख्त नियम बनाए थे। अब मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि 12 नमूनों में से तीन की रिपोर्ट साफ आई है, लेकिन जांच जारी रहेगी। राजस्थान में भी क्लीन चिट मिलने के बावजूद सतर्कता बरती जा रही है। परिवारों में गुस्सा और शोक का माहौल है। अदनान के पिता ने कहा, "हमने डॉक्टर पर भरोसा किया, लेकिन बच्चा चला गया। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।" इसी तरह, भरतपुर के एक परिवार ने मुआवजे और जांच की मांग की#

#स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, इसलिए दवाओं का असर ज्यादा होता है। डेक्सट्रोमेथॉर्फन जैसी दवाएं वयस्कों के लिए ठीक हैं, लेकिन बच्चों में नींद, उल्टी या किडनी पर बुरा असर डाल सकती हैं। अप्रैल 2025 में ही फिनाइलेफ्रिन वाली कॉम्बिनेशन दवाओं पर चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंध लगा था। अब विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि लेबलिंग साफ हो, जिसमें उम्र सीमा लिखी जाए। अभिभावकों को भी जागरूक होना चाहिए। यदि बच्चे को सिरप देने से पहले डॉक्टर से सलाह लें, तो कई हादसे टल सकते हैं#

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#मध्य प्रदेश:- बालाघाट- के बालाघाट में शराब के नशे में युवक ने रोकी ट्रेन- वारासिवनी जाने वाली पैसेंजर 15 मिनट रुकी, वायरल वीडियो में दिखा ड्रामा#

#मध्य प्रदेश: बालाघाट- के बालाघाट जिले में एक शराब के नशे में धुत युवक ने रेलवे पुल पर ऐसा ड्रामा किया कि वारासिवनी की ओर जा रही पैसेंजर ट्रेन को करीब 15 मिनट तक रोकना पड़ा। घटना वैनगंगा नदी पर बने गर्रा रेलवे पुल की है, जहां युवक ने ट्रेन के ठीक सामने खड़े होकर हंगामा मचाया। यह वाकया शुक्रवार दोपहर करीब 3 बजे का है, जब ट्रेन बालाघाट से वारासिवनी के लिए रवाना हुई थी। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में युवक का यह हाई वोल्टेज ड्रामा साफ दिखाई दे रहा है, जिसने स्थानीय लोगों और यात्रियों में सनसनी फैला दी। रेलवे प्रशासन और ग्रामीणों ने मिलकर युवक को समझाया, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हुआ। आखिरकार, रेलवे पुलिस की मदद से उसे हटाया गया और ट्रेन आगे बढ़ी#

#घटना की जानकारी मिलते ही बालाघाट रेलवे स्टेशन पर हड़कंप मच गया। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, युवक की पहचान अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई है, लेकिन वह आसपास के गांव का निवासी बताया जा रहा है। वह शराब के नशे में धुत होकर रेलवे पुल पर चढ़ गया और ट्रेन आने पर पटरी के बीचों-बीच खड़ा हो गया। ट्रेन ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक ली। यात्रियों ने खिड़कियों से झांककर देखा तो एक नशे में चूर युवक को ट्रेन के ठीक सामने चिल्लाते और इशारे करते पाया। वीडियो में दिख रहा है कि युवक पटरी पर लेटने की कोशिश करता है, फिर खड़ा होकर ट्रेन की ओर बढ़ता है। लोको पायलट ने हॉर्न बजाकर उसे हटाने की कोशिश की, लेकिन वह जस का तस खड़ा रहा। इस दौरान पुल पर मौजूद कुछ ग्रामीण दौड़े और उसे पकड़ने लगे#

#रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रेन में करीब 200 यात्री सवार थे, जो वारासिवनी, गोंदिया और नागपुर के लिए जा रहे थे। ट्रेन को रोकने से समय पर पहुंचने में देरी हुई और यात्रियों को परेशानी हुई। एक यात्री ने कहा कि हम सब डर गए थे कि कहीं बड़ा हादसा न हो जाए। युवक का व्यवहार इतना आक्रामक था कि लग रहा था जैसे वह जानबूझकर ट्रेन को रोकना चाहता हो। वीडियो में युवक को चिल्लाते हुए सुना जा सकता है, लेकिन शोर के कारण साफ शब्द नहीं समझ आए। ग्रामीणों का कहना है कि वह अक्सर नशे में तंग करता है, लेकिन इस बार उसका हंगामा रेलवे तक पहुंच गया। रेलवे पुलिस ने मौके पर पहुंचकर युवक को हिरासत में लिया और स्थानीय थाने में सौंप दिया। उसके खिलाफ रेलवे एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है#

#बालाघाट जिला रेलवे नेटवर्क का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां से महाराष्ट्र के गोंदिया और नागपुर तक लोकल ट्रेनें चलती हैं। वैनगंगा नदी पर बना गर्रा रेलवे पुल पुराना है और अक्सर ऐसी घटनाओं का गवाह बनता रहता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि नशे के आदी लोग पुल पर घूमते रहते हैं, जिससे खतरा बना रहता है। इस घटना के बाद रेलवे प्रशासन ने पुल के आसपास गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। एसपी ने भी कहा कि नशे के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। एबीपी न्यूज और अन्य चैनलों ने इसे कवर किया है। एक्स पर यूजर्स ने इसे शेयर करते हुए कमेंट किए कि शराब का नशा कितना खतरनाक है#

#यह घटना रेलवे सुरक्षा पर सवाल खड़ी करती है। मध्य प्रदेश में रेल हादसे अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं। कुछ महीने पहले ही शिवपुरी में एक शराबी मालगाड़ी के नीचे आ गया था। भोपाल स्टेशन पर भी नशे में धुत युवक पटरी पर गिरा था। इन घटनाओं से साफ है कि नशे की लत न सिर्फ व्यक्ति को, बल्कि दूसरों को भी खतरे में डाल देती है। विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे पुलों पर साइन बोर्ड लगाने और जागरूकता कैंप लगाने की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकानें बंद करने से भी फायदा हो सकता है। बालाघाट जैसे जिले में रेलवे यात्रा आम है, इसलिए सुरक्षा पहले आनी चाहिए#

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#बिहार:- किशनगंज- तीन साल के मासूम ने बचाई मां की जान, बिजली के तार गिरने से हो सकता था बड़ा हादसा, CCTV ने कैद किया चमत्कार#

#बिहार: किशनगंज- के किशनगंज जिले में एक तीन साल के बच्चे ने अपनी छोटी-सी उम्र में ऐसी बहादुरी दिखाई कि पूरी दुनिया हैरान रह गई। दुकान के बाहर अपनी मां के साथ खड़े इस मासूम ने ऊपर से गिरते 11 हजार वोल्ट के खतरनाक तार को देखते ही फौरन अपनी मां का हाथ पकड़ा और उन्हें अंदर खींच लिया। यह पूरी घटना महज पांच सेकंड में घटी, लेकिन अगर बच्चे की यह सूझबूझ न होती तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। घटना स्थानीय एक दुकान के बाहर हुई और सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जहां लोग बच्चे की तारीफ कर रहे हैं और इसे चमत्कार बता रहे हैं। यह वाकया न सिर्फ परिवार के लिए खुशी का पल है, बल्कि बिजली सुरक्षा के प्रति जागरूकता का भी संदेश देता है#

#घटना किशनगंज शहर के व्यस्त बाजार क्षेत्र में हुई। बच्चे का नाम आरव है, जो तीन साल का है। उसकी मां रीता देवी एक छोटी सी किराने की दुकान चलाती हैं। बुधवार दोपहर करीब दो बजे का समय था। मां-बेटा दुकान के बाहर खड़े होकर आसपास के लोगों से बात कर रहे थे। तभी ऊपर लगे बिजली के तारों में अचानक खराबी आ गई। तेज हवा के झोंके से 11 केवी का हाई वोल्टेज तार टूटकर नीचे गिर पड़ा। तार सीधे मां-बेटे की ओर आ रहा था। रीता देवी को कुछ समझ पाने का मौका ही नहीं मिला। लेकिन आरव ने ऊपर देखा, खतरे को भांपा और तुरंत अपनी मां का हाथ जोर से पकड़ लिया। फिर पूरे जोर लगाकर उन्हें दुकान के अंदर खींच लिया। तार जमीन पर गिरा और चिंगारियां उड़ने लगीं। अगर बच्चा न हटाता तो मां को करंट लग जाता और जान जा सकती थी#

#सीसीटीवी फुटेज में यह पूरी घटना साफ दिखाई दे रही है। वीडियो में आरव को पहले ऊपर देखते हुए, फिर मां का हाथ पकड़ते और तेजी से अंदर खींचते हुए रिकॉर्ड किया गया है। दुकान के मालिक ने वीडियो अपने फोन में सेव किया और परिवार को दिखाया। रीता देवी ने बताया कि वे दोनों मौत के मुंह से बच गए। बच्चा इतना छोटा है कि बोल भी साफ नहीं बोल पाता, लेकिन उसकी यह हरकत किसी सुपरहीरो से कम नहीं। परिवार वाले कहते हैं कि आरव हमेशा मां के पीछे-पीछे घूमता रहता है। शायद इसी आदत ने उसकी जान बचाई। घटना के बाद स्थानीय लोग दुकान पर जमा हो गए। सभी ने बच्चे को गोद में उठाकर बधाई दी। सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर होते ही हजारों व्यूज आ गए। लोग कमेंट्स में लिख रहे हैं कि इतनी छोटी उम्र में इतनी समझदारी कम ही देखने को मिलती है#

#किशनगंज के एसपी विनय तिवारी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बच्चे की जागरूकता का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने बिजली विभाग को तारों की जांच के निर्देश दिए हैं। जिले में अक्सर बिजली के तारों की समस्या रहती है, खासकर पुरानी वायरिंग वाले इलाकों में। इस घटना ने अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया है। बिजली विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि तार टूटने की वजह तेज हवा और पुरानी इंसुलेशन हो सकती है। वे मौके पर पहुंचे और मरम्मत कराई। अब क्षेत्र में विशेष जांच अभियान चलाया जा रहा है ताकि ऐसी दुर्घटनाएं न हों। परिवार को सुरक्षा उपकरण भी दिए गए हैं। रीता देवी ने कहा कि अब वे दुकान के बाहर सावधानी से खड़ी होंगी। बच्चे को डॉक्टरों ने चेकअप के लिए बुलाया, लेकिन वह पूरी तरह स्वस्थ है#

#यह घटना सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है। छोटे बच्चे अक्सर खतरे को नहीं समझ पाते, लेकिन आरव ने साबित कर दिया कि मां का प्यार और साथ कितना मजबूत होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को बचपन से ही खतरे के बारे में सिखाना चाहिए। स्कूलों में बिजली सुरक्षा पर क्लासेस होनी चाहिए। बिहार में बिजली दुर्घटनाएं आम हैं। पिछले साल किशनगंज में ही दो लोग बिजली के तार छूने से झुलस गए थे। सरकार ने बिजली सुरक्षा अभियान चलाया है, लेकिन जमीनी स्तर पर और काम की जरूरत है। स्थानीय एनजीओ ने इस घटना पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। उन्होंने वीडियो दिखाकर लोगों को बताया कि कैसे छोटी सी सावधानी जिंदगी बचा सकती है#

#परिवार के अन्य सदस्य भी खुश हैं। पिता रामू जी एक मजदूर हैं। वे कहते हैं कि बच्चा भगवान का दिया तोहफा है। इस घटना के बाद पूरे मोहल्ले में उत्सव सा माहौल है। पड़ोसी महिलाएं रीता को सलाह दे रही हैं कि बच्चे को ज्यादा बाहर न घुमाएं। लेकिन आरव अब हीरो बन चुका है। स्कूल वाले भी उसे बुलाकर सम्मानित करना चाहते हैं। वीडियो को देखकर कई लोग भावुक हो गए। एक यूजर ने लिखा कि मां-बेटे का बंधन अमर है। यह कहानी मीडिया में छाई हुई है। आज तक चैनल ने इसे प्रमुखता से दिखाया और विशेषज्ञों से बात की। डॉक्टरों ने बताया कि करंट लगने से हार्ट फेलियर हो सकता है। इसलिए तुरंत हटना जरूरी था। बच्चे की यह फुर्ती चमत्कारिक है#

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