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#हरदोई:- शाहाबाद- अमर शहीद भगत सिंह के साथी एवं महान क्रांतिकारी जयदेव कपूर साहब की जन्म जयंती#


#हरदोई:- शाहाबाद- अमर शहीद भगत सिंह के साथी एवं महान क्रांतिकारी जयदेव कपूर साहब की जन्म जयंती#

#हरदोई: के लाल जयदेव की कहानी: नंगे बदन पर रोज कोड़ों की मार झेलते, पर उफ्फ तक नहीं की#

#हरदोई: शाहाबाद- में एक मध्यम वर्गीय परिवार में पिता शालिगराम कपूर व माँ गंगा देवी के पुत्र जयदेव कपूर का जन्म आज ही के दिन सन 1908 में हुआ था। बाद में उनका परिवार हरदोई शहर के मंगलीपुरवा में रहने लगा। जयदेव कपूर ने 1925 में हाईस्कूल, फिर डीएवी कालेज कानपुर से इंटर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय काशी से बीएससी की पढ़ाई की और इंजीनियरिंग कालेज बनारस के छात्र रहे। सन 1926 में डीएवी कालेज में रहते हुए हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में प्रवेश मिला और भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों का सानिध्य मिला और आजादी के आंदोलन में कूद पड़े#

#देश की आजादी में कई ऐसे क्रांतिकारियों का योगदान रहा है जिन्होंने इस राष्ट्र को स्वाधीनता के प्रकाश में लाने के लिए अपना पूरा जीवन अंधकार से भरी जेल की तंग कालकोठरियों में गुजार दिया, बावजूद इसके उनकी शहादत इस स्वाधीन राष्ट्र, जो उनके पुण्य बलिदानों का प्रतिफल है, में उचित सम्मान पाने के लिए आज संघर्ष कर रही है.  माँ भारती के पैरों में पड़ी परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ने के उद्देश्य से संघर्ष करने वाले ऐसे ही एक क्रांतिकारी जयदेव कपूर जी को हम आज याद कर रहे हैं. जयदेव कपूर उत्तर प्रदेश के हरदोई के रहने वाले थे.  कानपुर के डीएवी हॉस्टल में रहते हुए वह क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आए और जल्द ही उनकी एक टोली में शामिल हो गए. इस दौरान वे चन्द्रशेखर आजाद और फिर शहीद-ए-आजम भगतसिंह के संपर्क में आए#

#08 अप्रैल 1929 को जब सेंट्रल असेम्बली में बम फेंकने की योजना बनी तो जयदेव कपूर और शिव वर्मा ने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के एंट्री पास का इंतजाम कर उनको असेम्बली में दाखिल करवाया, जिसके बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंका था. सेंट्रल असेम्बली में बम विस्फोट कांड में षडयंत्रकर्ता के तौर पर पकड़े जाने के बाद जयदेव कपूर को अंडमान की कुख्यात #कालापानी जेल भेज दिया गया. वहां सजा काटने के दौरान जयदेव ने देखा कि जेलर भारतीयों को गाली दे रहा है तो उन्होंने उसे ऐसा घूँसा मारा कि उसके दाँत टूट गए. इसका नतीजा ये हुआ कि सजा के तौर पर उन्हें प्रतिदिन नंगे बदन पर 30 कोड़े लगाने का फरमान सुनाया गया. इस कठिन सजा को आजादी के इस परवाने ने हँसते हुए झेल लिया. कोड़े को पानी में भिगोकर इतनी जोर से मारा जाता था कि वह जिस जगह पर पड़ता वहां की चमड़ी साथ उधेड़ लाता, लेकिन मजाल कि माँ भारती के इस सच्चे सपूत ने दर्द से उफ्फ तक भी की हो. जयदेव कपूर की ये सहनशीलता देख अंग्रेजी अफसर भी दंग रह जाते. अंडमान जेल की सजा के दौरान बदन पर पड़े कोड़ों  के निशान जयदेव जी के शरीर पर ताउम्र बने रहे#

#जयदेव कपूर भगत सिंह के करीबी मित्रों में से एक थे. 08 अप्रैल 1829 को असेंबली हाल में बम फेंकने से पहले शहीद भगतसिंह ने जयदेव को अपने जूते भेंट किए थे. साथ ही उन्होंने एक पॉकेट घड़ी भी उन्हें दी थी जो महान क्रांतिकारी शचीन्द्रनाथ सान्याल ने उन्हें भेंट की थी. इन्हें देते हुए भगत सिंह से जयदेव से आजादी की मशाल को जलाए रखने का वचन लिया था. जयदेव कपूर स्वतंत्रता के बाद भी लगभग 2 वर्ष तक जेल में रहे. सन 1949 में जेल से रिहा होकर उन्होंने शादी कर ली. उसके बाद सन 1949 से 1994 में निधन तक एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वे वंचितों और शोषितों की आवाज बुलंद करते रहे. स्वाधीनता के लिए इतनी यातनाएँ हँसते-हैसते सहने वाले जयदेव कपूर के परिवार व उनके छोटे बेटे कपूर को आज भी ये बात पीड़ा देती है कि सन 1996 में जयदेव कपूर जी की प्रतिमा हरदोई में स्थापित करने की जो घोषणा की गई थी वो आज तक पूरी नहीं की जा सकी है. इस क्रांतिकारी के परिवार की ये माँग है कि जयदेव जी की प्रतिमा हरदोई के उसी शहीद पार्क में स्थापित हो जहाँ पर स्वयं उन्होंने अपने प्रयासों से चन्द्रशेखर आजाद और भगतसिंह की प्रतिमाएँ लगवाई थीं#

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