#लखनऊ:- अम्मा के लिए पूरा परिवार बना श्रवण कुमार, इस परिवार की इच्छा शक्ति और समर्पण नें मेडिकल साइंस को पछाड़ दिया#
#लखनऊ:- अम्मा के लिए पूरा परिवार बना श्रवण कुमार, इस परिवार की इच्छा शक्ति और समर्पण नें मेडिकल साइंस को पछाड़ दिया#
#लखनऊ: डिजिटल युग के दौर में रील बनाती युवा वर्ग की पीढ़ी में जहां माता-पिता को भगवान दिए जाने का दर्जा सिर्फ सोशल मीडिया पर सिमटता जा रहा है और आए दिन बूढ़े, लाचार, और बीमार हो चुके माता-पिता को काल कोठरी में बंद कर विदेश में डॉलर कमाते परिवार की कहानी समाचार पत्रों में दिखाई देती है, वही उत्तर प्रदेश की राजधानी #लखनऊ के इंदिरा नगर क्षेत्र में रहने वाले शेखर पंडित के परिवार में श्रवण कुमार के अध्याय को भी पीछे छोड़ दिया है। श्रवण कुमार द्वारा अपने कंधे पर कांवड़ में माता पिता को तीर्थों पर लेकर जाने वाले दृश्य जहां जेनज़ी के मस्तिष्क से मिटते जा रहे है और विडियो कॉल के माध्यम से अपने अपने कर्तव्यों का सिर्फ दिखावा किया जा रहा है वहीं शेखर पंडित के पूरे परिवार में श्रवण कुमार की भक्ति का रूप देखने को मिलता है#
#प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत रही शेखर की माताजी अचानक घर के कामकाज करते ऐसा गिरी की स्मरण शक्ति के साथ साथ चलने फिरने की शक्ति भी गायब हो गयी, शहर के प्रतिष्ठित अस्पताल के डॉक्टर ने 10 दिन की देखभाल के बाद जवाब दे दिया और पूरे परिवार के सामने अजीब से हालात थे परंतु शेखर पंडित के पूरे परिवार ने घर लाकर समस्त चिकित्सा सुविधा के साथ अपनी आत्मीय, मेहनत, और भक्ति से न सिर्फ वह चमत्कार दिखाया कि माता जी की स्मरण शक्ति के साथ-साथ सुरीले बोल भी वापस आ गए और मेडिकल साइंस को पीछे छोड़ दिया#
#यही नहीं ग्लूकोमा के चलते पिताजी के दोनों आंखों की रोशनी भी इस परिवार की भक्ति के आगे अंधेरा नही कर पाई और उनके अंधकारमय जीवन में संपूर्ण परिवार अपने अपने नेत्रों के माध्यम से पथ प्रदर्शित करता रहता है, दो बेटियों, एक बेटे और शेखर पंडित की पत्नी का जो सेवा, समर्पण भाव इस कलयुग में देखने को मिलता है वह कहीं ना कहीं Genzee के लिए एक नया रोल मॉडल प्रदर्शित करता है। दीवाली की इस ख़ास मौके पर सही मायनों में रौशनी देखनी हो तो शेखर पंडित के आंगन को देखना होगा जहां एक श्रवण कुमार नही पूरा परिवार ही श्रवण कुमार दिखाई देगा#

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