#बिहार:- चुनाव से पहले नीतीश सरकार का बड़ा ऐलान- कर्मचारियों का DA 3% बढ़ा, वकीलों को 5000 रुपये स्टाइपेंड; 129 प्रस्तावों पर मुहर#
#भारत:- बुलडोजर से नहीं, कानून से चलता है- CJI बीआर गवई का मॉरीशस में दिया बयान, विध्वंस न्याय पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की याद दिलाई#
#दिल्लः मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुईस में एक अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई ने एक ऐसा बयान दिया, जो न केवल भारतीय न्याय व्यवस्था की मजबूती को रेखांकित करता है, बल्कि कार्यपालिका की मनमानी पर भी करारा प्रहार करता है। 3 अक्टूबर 2025 को 'सिर मॉरिस रॉल्ट मेमोरियल लेक्चर 2025' में बोलते हुए CJI गवई ने कहा कि भारत का कानूनी तंत्र कानून के शासन से निर्देशित होता है, न कि 'बुलडोजर के शासन' से। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का जिक्र किया, जिसमें अवैध विध्वंस को 'बुलडोजर न्याय' करार देते हुए इसे असंवैधानिक ठहराया गया था। यह बयान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाने की प्रथा पर सवाल खड़े करता है, जहां बिना सुनवाई के संपत्ति नष्ट की जाती रही है। CJI ने जोर देकर कहा कि कार्यपालिका न्यायाधीश, जूरी और फांसी देने वाले का एक साथ काम नहीं कर सकती। यह बयान मॉरीशस के राष्ट्रपति धरमबीर गोकुल, प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगूलाम और चीफ जस्टिस रेहाना मंगली गुलबुल की मौजूदगी में दिया गया, जो भारत-मॉरीशस संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक है#
#यह व्याख्यान 'सबसे बड़े लोकतंत्र में कानून का शासन' विषय पर था। सिर मॉरिस रॉल्ट मॉरीशस के पूर्व चीफ जस्टिस थे, जिन्होंने 1978 से 1982 तक सेवा की। CJI गवई तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मॉरीशस पहुंचे थे, जहां उन्होंने महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर गांधी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया। लेक्चर में उन्होंने भारतीय संविधान की मूल संरचना का जिक्र किया। 1973 के केशवानंद भारती मामले का हवाला देते हुए कहा कि यह फैसला संसद की संविधान संशोधन की शक्ति को सीमित करता है। उन्होंने मेनका गांधी मामले (1978) का भी उल्लेख किया, जहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को विस्तार दिया गया। CJI ने कहा कि कानून का शासन केवल नियमों का समूह नहीं, बल्कि एक नैतिक और सामाजिक ढांचा है, जो समानता, गरिमा और अच्छे शासन को सुनिश्चित करता है। महात्मा गांधी और डॉ. बीआर अंबेडकर के योगदान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इनकी दृष्टि ने भारत को विविध समाज में न्यायपूर्ण व्यवस्था दी#
#CJI गवई का बुलडोजर पर टिप्पणी उनके 2024 के फैसले से जुड़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि अपराध के आरोपियों के घरों का विध्वंस बिना कानूनी प्रक्रिया के नहीं हो सकता। यह फैसला उत्तर प्रदेश के झांसी में एक मामले से शुरू हुआ, जहां एक आरोपी के घर को बिना नोटिस के ध्वस्त कर दिया गया था। कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन माना, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है। फैसले में कहा गया कि विध्वंस से न केवल आरोपी, बल्कि उसके परिवार के सदस्य भी प्रभावित होते हैं, जो निर्दोष होते हैं। कार्यपालिका को जज, जूरी और एक्जीक्यूटर की भूमिका एक साथ निभाने का अधिकार नहीं। CJI गवई ने लेक्चर में कहा कि यह फैसला कानून के शासन का स्पष्ट संदेश था। उन्होंने कहा कि विध्वंस कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करता है और संपत्ति के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 300A) का हनन करता है। यह फैसला पूरे देश में लागू होगा, और राज्यों को नोटिस, सुनवाई और अपील का अवसर देना होगा#
#भारत में बुलडोजर कार्रवाई की प्रथा 2022 से चर्चा में आई। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाए गए। सरकार ने इसे 'माफिया विरोधी अभियान' बताया, लेकिन मानवाधिकार संगठनों ने इसे मनमाना बताया। Amnesty International ने कहा कि यह सांप्रदायिक आधार पर लक्षित था। मध्य प्रदेश और गुजरात में भी ऐसी कार्रवाइयां हुईं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी सरकार ने दिशानिर्देश जारी किए। अब विध्वंस से पहले 15 दिन का नोटिस देना जरूरी है। CJI गवई ने लेक्चर में कहा कि कानूनी प्रक्रिया ही न्याय सुनिश्चित करती है। उन्होंने त्वरित तलाक (शायरा बानो मामला, 2017) को समाप्त करने और निजता के अधिकार (पुट्टास्वामी मामला, 2017) को मौलिक बनाने वाले फैसलों का भी जिक्र किया। इलेक्टोरल बॉन्ड योजना (2024) को असंवैधानिक ठहराने वाले फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि मनमानी समानता और न्याय के विरुद्ध है#
#मॉरीशस यात्रा भारत-मॉरीशस संबंधों को मजबूत करने का अवसर थी। CJI गवई ने राष्ट्रपति गोकुल और प्रधानमंत्री रामगूलाम से मुलाकात की। दोनों देशों ने उपनिवेशवाद के कष्ट साझा किए। CJI ने कहा कि दोनों लोकतांत्रिक समाज हैं, जहां कानून सबके लिए बराबर है। लेक्चर में उन्होंने सामाजिक न्याय पर जोर दिया। कहा कि कानूनों ने ऐतिहासिक अन्याय सुधारा है, और हाशिए पर पड़े समुदायों ने कानून का सहारा लिया। राजनीतिक क्षेत्र में कानून का शासन अच्छे शासन का पैमाना है। उन्होंने कहा कि कानून का शासन सार्वभौमिक नहीं, बल्कि राजनीतिक संघर्षों और सांस्कृतिक मूल्यों से आकार लेता है। भारत में यह संवैधानिक मूल्यों से जुड़ा है। लेक्चर के बाद मॉरीशस चीफ जस्टिस ने CJI की सराहना की#
#यह बयान भारत में बहस छेड़ रहा है। विपक्ष ने कहा कि यह योगी सरकार पर प्रहार है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि CJI ने साफ कहा कि बुलडोजर से नहीं, कानून से चलेगा देश। भाजपा ने कहा कि सरकार कानून का पालन करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला कार्यपालिका-न्यायपालिका संतुलन बनाए रखेगा। CJI गवई ने कहा कि कानून का शासन प्रक्रियात्मक और पदार्थपूर्ण दोनों स्तरों पर काम करता है। यह राज्य की मनमानी रोकता है, समानता सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने कानून को सामाजिक, राजनीतिक और संवैधानिक बहस में उतारा है#
#CJI गवई का कार्यकाल महत्वपूर्ण रहा। वे 2024 में CJI बने। दलित समुदाय से आने वाले पहले CJI हैं। उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए। बुलडोजर फैसला उनमें प्रमुख है। लेक्चर में उन्होंने कहा कि यह फैसला उन्हें अत्यधिक संतुष्टि देता है। मॉरीशस यात्रा के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट में भाग लिया। यात्रा भारत की वैश्विक छवि मजबूत करती है। CJI ने कहा कि कानून का शासन लोकतंत्र की आत्मा है। यह बयान न केवल भारत, बल्कि दुनिया के लोकतंत्रों के लिए संदेश है#
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#कांतारा: चैप्टर 1 ने रिलीज के पहले दो दिनों में ही मचाया धमाल, 105 करोड़ की कमाई; 2022 वाली कांतारा को पीछे छोड़ा#
#कन्नड़: सिनेमा की बहुप्रतीक्षित फिल्म कांतारा चैप्टर 1 ने 2 अक्टूबर 2025 को रिलीज होते ही बॉक्स ऑफिस पर तूफान ला दिया। यह फिल्म, जो 2022 की ब्लॉकबस्टर कांतारा का प्रीक्वल है, ने पहले दिन सभी भाषाओं में कुल 61.85 करोड़ रुपये की शानदार कमाई की। इसमें हिंदी वर्जन से 18.5 करोड़ और कन्नड़ वर्जन से 19.6 करोड़ रुपये का योगदान रहा। दूसरे दिन रात 10:30 बजे तक यह आंकड़ा 43.65 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिससे कुल संग्रह 105.5 करोड़ रुपये हो गया। खास बात यह है कि महज दो दिनों में ही इसने मूल कांतारा के पहले दो हफ्तों की कमाई को पार कर लिया है। रिषभ शेट्टी द्वारा लिखित, निर्देशित और अभिनीत यह फिल्म दशहरा और गांधी जयंती के अवसर पर रिलीज हुई, जिसने दक्षिण भारत से लेकर हिंदी पट्टी तक दर्शकों को आकर्षित किया। कम बजट वाली इस फिल्म का यह प्रदर्शन 2025 की सबसे बड़ी ओपनिंग्स में शुमार हो गया है, और यह साफ दिखा रहा है कि कांतारा यूनिवर्स की लोकप्रियता बरकरार है#
#फिल्म की रिलीज 2 अक्टूबर को हुई, जो दशहरा का दिन था। कर्नाटक के उडुपी जिले के भटकल गांव में सेट यह प्रीक्वल 11वीं शताब्दी की कहानी बुनता है, जो मूल फिल्म के घटनाक्रम से 1000 साल पहले की है। रिषभ शेट्टी ने इसमें देवलोक के राजा शंकरू की भूमिका निभाई है, जो एक सामान्य किसान से भगवान पनचे की शक्ति प्राप्त करने वाले योद्धा बन जाता है। फिल्म में रुकमिणी वासंत, जयराम और गुलशन देवैया जैसे कलाकार भी हैं। प्रीक्वल होने के बावजूद यह एक स्वतंत्र कहानी है, जो तुलुनाडु क्षेत्र की लोककथाओं, भूत-प्रेत और प्रकृति पूजा पर आधारित है। निर्देशक रिषभ ने कहा कि यह फिल्म मूल कांतारा की जड़ों को खोदती है, जहां भगवान पनचे के अवतार की शुरुआत दिखाई गई है। फिल्म को कन्नड़, हिंदी, तेलुगु, तमिल, मलयालम और बंगाली सहित कई भाषाओं में रिलीज किया गया। ओवरसीज मार्केट में भी इसने 90 करोड़ रुपये से अधिक कमा लिए, जिससे वर्ल्डवाइड पहले दिन का संग्रह करीब 150 करोड़ का हो गया#
#बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की शुरुआत धमाकेदार रही। इंडस्ट्री ट्रैकर सैकनिल के अनुसार, पहले दिन भारत में नेट कलेक्शन 61.85 करोड़ रहा। कन्नड़ वर्जन ने दक्षिण में 70 प्रतिशत से अधिक ऑक्यूपेंसी के साथ लीड किया, जबकि हिंदी बेल्ट में सुबह के शो कमजोर रहे लेकिन शाम तक सुधार हुआ। तेलुगु और तमिल में भी अच्छा रिस्पॉन्स मिला। दूसरे दिन कलेक्शन 43.65 करोड़ रहा, जो दशहरा की छुट्टी का फायदा उठा रहा। कन्नड़ ऑडियंस में 79 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी रही। कुल दो दिनों का नेट कलेक्शन 105.5 करोड़ हो गया, जो 2025 की सबसे तेज 100 करोड़ क्लब में शामिल होने वाली कन्नड़ फिल्म है। वर्ल्डवाइड दो दिनों में यह 200 करोड़ के करीब पहुंच गई। फिल्म का बजट मात्र 25 करोड़ बताया जा रहा है, इसलिए यह पहले ही प्रॉफिट जोन में आ चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि वीकेंड पर यह 225 करोड़ तक पहुंच सकती है#
#यह प्रदर्शन 2022 की मूल कांतारा से भी आगे है। उस फिल्म ने पहले दो हफ्तों में करीब 100 करोड़ कमाए थे, जबकि इसका प्रीक्वल दो दिनों में ही पार कर गया। मूल कांतारा ने 15 करोड़ के बजट पर 400 करोड़ से अधिक कमाए थे, जो एक स्लीपर हिट थी। प्रीक्वल ने इसकी विरासत को मजबूत किया है। 2025 की अन्य बड़ी फिल्मों से तुलना करें तो कांतारा चैप्टर 1 ने छावा (37.25 करोड़ ओपनिंग) और सैयारा (29.20 करोड़) को पीछे छोड़ दिया। यह साउथ की कूली (65 करोड़) और धेय कल हिम ओजी (63.75 करोड़) से थोड़ा पीछे है, लेकिन कन्नड़ फिल्म के रूप में रिकॉर्ड तोड़ रही। हिंदी में यह 2025 की तीसरी सबसे बड़ी ओपनिंग है। दर्शकों ने फिल्म की विजुअल इफेक्ट्स, एक्शन सीक्वेंस और लोकल फोकलोर को सराहा। एक दर्शक ने कहा कि यह फिल्म प्रकृति और आस्था का ऐसा मिश्रण है जो दिल छू लेता है#
#फिल्म की सफलता का राज इसकी कल्चरल वैल्यू है। कर्नाटक के तुलुनाडु क्षेत्र की भूत कोला नृत्य और पनचे जतरे उत्सव को फिल्म ने खूबसूरती से पेश किया। रिषभ शेट्टी ने खुद भूत कोला का प्रशिक्षण लिया, जो स्क्रीन पर साफ झलकता है। सिनेमेटोग्राफर अरविंद कश्यप की शूटिंग ने कुद्रेमुख नेशनल पार्क की हरियाली को जीवंत कर दिया। संगीतकार अजाने ने भक्ति भजनों से फिल्म को और गहराई दी। रिलीज से पहले ट्रेलर ने 50 मिलियन व्यूज हासिल किए थे। प्रचार अभियान में रिषभ ने कर्नाटक के गांवों का दौरा किया, जहां उन्होंने भूत कोला प्रदर्शन किया। ओटीटी राइट्स प्राइम वीडियो को बिक चुके हैं, लेकिन थिएट्रिकल रन लंबा चलेगा#
#सोशल मीडिया पर फिल्म की तारीफों का पुल बंधा है। एक्स पर KantaraChapter1 ट्रेंड कर रहा है। एक यूजर ने लिखा कि यह 2025 की बेस्ट फिल्म है, जहां मिथोलॉजी और एक्शन का कमाल है। रिव्यूज में 4.5 स्टार मिले। इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि यह कांतारा की जड़ों को मजबूती देती है। हिंदुस्तान टाइम्स ने ओपनिंग को हिस्टोरिक बताया। लेकिन कुछ आलोचकों ने कहा कि स्क्रिप्ट थोड़ी लंबी है। दर्शक परिवार के साथ देखने लायक बता रहे। कर्नाटक में 90 प्रतिशत शो हाउसफुल रहे। हिंदी बेल्ट में मल्टीप्लेक्स में अच्छा रिस्पॉन्स। ओवरसीज में अमेरिका और यूरोप के सिनेमाघरों में भी पैक्ड हाउस#
#रिषभ शेट्टी की मेहनत रंग लाई। 2022 में कांतारा ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया। प्रीक्वल के लिए उन्होंने दो साल लगाए। फिल्म में उनके डबल रोल हैं। सह-कलाकार रुकमिणी ने कहा कि शूटिंग चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन रिषभ का विजन कमाल का था। जयराम ने दाद दी। गुलशन देवैया का किरदार महत्वपूर्ण है। प्रोडक्शन हombale फिल्म्स ने बड़े स्केल पर बनाई। यह फिल्म कन्नड़ सिनेमा को पैन-इंडिया स्तर पर ले गई। 2025 में साउथ फिल्मों का बोलबाला है, और कांतारा इसका उदाहरण#
#फिल्म की सफलता से उद्योग उत्साहित है। कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री ने 2025 में 500 करोड़ का टर्नओवर किया। कांतारा ने युवाओं को लोकल कल्चर से जोड़ा। सरकार ने भी सराहना की। कर्नाटक सीएम ने ट्वीट कर बधाई दी। भविष्य में कांतारा चैप्टर 2 की घोषणा हो सकती है। दर्शक उत्सुक हैं। यह फिल्म साबित करती है कि अच्छी स्टोरीटेलिंग बजट से ऊपर है। आशा है कि यह रन जारी रखेगी#
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#बिहार:- चुनाव से पहले नीतीश सरकार का बड़ा ऐलान- कर्मचारियों का DA 3% बढ़ा, वकीलों को 5000 रुपये स्टाइपेंड; 129 प्रस्तावों पर मुहर#
#बिहार: की राजधानी पटना में शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक ने राज्य के लाखों लोगों को राहत देने वाले कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई, जिसमें कुल 129 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। इनमें सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में तीन प्रतिशत की वृद्धि सबसे प्रमुख है। इसके अलावा, नए वकीलों को तीन साल तक प्रतिमाह 5000 रुपये का स्टाइपेंड देने का निर्णय भी लिया गया। ये फैसले न केवल आर्थिक राहत प्रदान करेंगे, बल्कि युवाओं, छात्रों और कर्मचारियों के बीच सरकार की लोकप्रियता बढ़ाने में भी मददगार साबित होंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये कदम एनडीए सरकार की चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं, क्योंकि इससे राज्य के करीब पांच लाख कर्मचारियों और लाखों पेंशनभोगियों को सीधा लाभ मिलेगा। कैबिनेट बैठक के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने पत्रकारों को विस्तृत जानकारी दी#
#कैबिनेट बैठक 3 अक्टूबर 2025 को दोपहर में हुई। इसमें सभी विभागों के मंत्री मौजूद थे। बैठक में कुल 129 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, कृषि और सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों से जुड़े थे। सबसे चर्चित निर्णय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते का था। वर्तमान में 55 प्रतिशत चल रहा डीए अब 58 प्रतिशत हो गया है। यह वृद्धि 1 जुलाई 2025 से बैक डेट से लागू होगी। राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार, इससे वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य के खजाने पर 917.78 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। लेकिन यह कदम केंद्र सरकार के हालिया डीए वृद्धि के अनुरूप है, जहां भी तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। बिहार में करीब 4.5 लाख नियमित कर्मचारी, 2 लाख संविदा कर्मचारी और 3 लाख से अधिक पेंशनभोगी इससे लाभान्वित होंगे। एक औसत कर्मचारी को इससे प्रतिमाह 1000 से 1500 रुपये की अतिरिक्त आय होगी। कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। बिहार राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि यह लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हुई है#
#नए वकीलों के लिए स्टाइपेंड का फैसला भी सराहनीय है। कैबिनेट ने 1 जनवरी 2024 या उसके बाद बार काउंसिल में पंजीकृत सभी नए अधिवक्ताओं को तीन वर्षों तक प्रतिमाह 5000 रुपये का स्टाइपेंड देने को मंजूरी दी। बिहार में हर साल करीब 5000 नए वकील पंजीकरण कराते हैं, जो ज्यादातर ग्रामीण इलाकों से आते हैं। इनमें से कई आर्थिक तंगी के कारण प्रैक्टिस शुरू नहीं कर पाते। इस स्टाइपेंड से उन्हें शुरुआती दिनों में आर्थिक सहायता मिलेगी, जिससे वे बिना चिंता के कानूनी क्षेत्र में आगे बढ़ सकेंगे। विधि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह योजना बिहार बार काउंसिल के सहयोग से लागू होगी। वकील संगठनों ने इसे ऐतिहासिक बताया। पटना हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि इससे युवा वकीलों को प्रोत्साहन मिलेगा और न्याय व्यवस्था मजबूत बनेगी#
#इनके अलावा, कैबिनेट ने कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं को हरी झंडी दिखाई। स्नातक युवाओं के लिए बेरोजगारी भत्ता 1000 रुपये प्रतिमाह बढ़ाकर 2000 रुपये किया गया। यह भत्ता 20 से 25 वर्ष की आयु के बेरोजगार युवाओं को पांच वर्षों तक मिलेगा। इससे राज्य के लाखों युवाओं को नौकरी की तलाश में आर्थिक मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री बालक-बालिका छात्रवृत्ति योजना के तहत दी जाने वाली सहायता राशि को दोगुना कर दिया गया। कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को अब प्रतिमाह 1000 रुपये मिलेंगे, जबकि कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को 2000 रुपये। इससे करोड़ों स्कूली बच्चों को लाभ होगा। कैबिनेट ने बिहार वुड-बेस्ड इंडस्ट्रीज (स्थापना और नियमन) अधिनियम 2025 के नियमों को भी मंजूरी दी। इससे लकड़ी आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कई प्रस्ताव भी पास हुए, जिनमें ग्रामीण अस्पतालों में नई सुविधाएं शामिल हैं#
#ये फैसले बिहार चुनाव से पहले आर्थिक और सामाजिक राहत पैकेज के रूप में देखे जा रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने हैं। एनडीए सरकार, जिसमें जदयू और भाजपा मुख्य पार्टियां हैं, इन कदमों से वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश कर रही है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि डीए वृद्धि से कर्मचारी वर्ग, जो राज्य की आबादी का बड़ा हिस्सा है, सरकार के पक्ष में झुक सकता है। स्टाइपेंड और बेरोजगारी भत्ता युवाओं को आकर्षित करेगा, जबकि छात्रवृत्ति से माता-पिता खुश होंगे। विपक्षी दल, जैसे राजद और कांग्रेस, ने इसे चुनावी स्टंट बताया। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर कहा कि ये फैसले आखिरी समय के हैं, असल में बिहार की समस्याएं जस की तस हैं। लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया कि ये निर्णय पिछले कई महीनों से विचाराधीन थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक के बाद कहा कि सरकार जनकल्याण के लिए प्रतिबद्ध है#
#बिहार: की अर्थव्यवस्था पर इन फैसलों का असर भी पड़ेगा। राज्य का बजट 2025-26 के लिए 2.5 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें कल्याणकारी योजनाओं पर 40 प्रतिशत खर्च होता है। डीए वृद्धि से खजाने पर बोझ बढ़ेगा, लेकिन केंद्र से मिलने वाली सहायता से इसे संभाला जा सकेगा। बेरोजगारी भत्ता योजना से युवाओं को नौकरी की तैयारी में मदद मिलेगी। बिहार में बेरोजगारी दर 15 प्रतिशत से ऊपर है, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। वकीलों के स्टाइपेंड से न्यायिक क्षेत्र मजबूत होगा। पटना हाईकोर्ट में वकीलों की संख्या 50 हजार से अधिक है, लेकिन नए वकीलों को संघर्ष करना पड़ता है। कैबिनेट ने पर्यावरण और कृषि से जुड़े प्रस्ताव भी पास किए। किसानों को फसल बीमा योजना में नई छूट दी गई है। ग्रामीण विकास विभाग ने पंचायतों में नई सड़कें बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए#
#ये फैसले बिहार के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करेंगे। महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 2500 करोड़ रुपये वितरित किए गए, जिसका जिक्र बैठक में हुआ। स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राथमिक उपचार केंद्रों को अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया। शिक्षा विभाग ने डिजिटल क्लासरूम स्थापित करने के लिए 200 करोड़ का प्रावधान किया। कैबिनेट ने श्रम विभाग के कई प्रस्तावों को भी मंजूरी दी, जिसमें मजदूरों के लिए नई पेंशन योजना शामिल है। ये कदम ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों को लाभ पहुंचाएंगे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा विकास और कल्याण पर जोर दिया है। उनकी सरकार ने पिछले दस वर्षों में कई ऐसी योजनाएं शुरू की हैं, जो गरीबों को सशक्त बनाने वाली हैं। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि कार्यान्वयन में कमी है#
#राजनीतिक हलचल के बीच ये फैसले एनडीए के लिए सकारात्मक साबित हो सकते हैं। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ये निर्णय जनता की मांगों को पूरा करते हैं। भाजपा ने भी समर्थन जताया। दूसरी ओर, महागठबंधन ने कहा कि चुनाव के बाद ये वादे भूल जाएंगे। सोशल मीडिया पर NitishCabinet और BiharDAHike ट्रेंड कर रहे हैं। लोग खुशी जता रहे हैं, लेकिन कुछ सवाल भी उठा रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि कर्मचारियों को राहत मिली, लेकिन किसानों को और मदद चाहिए। सरकार ने स्पष्ट किया कि सभी वर्गों के लिए योजनाएं हैं#
#ये फैसले बिहार के भविष्य को आकार देंगे। डीए वृद्धि से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा, स्टाइपेंड से वकील युवा प्रेरित होंगे। छात्रवृत्ति से शिक्षा का स्तर सुधरेगा। बेरोजगारी भत्ता से युवा सशक्त होंगे। कैबिनेट के ये 129 निर्णय राज्य विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। आशा है कि इन्हें जल्द लागू किया जाएगा और बिहार प्रगति की राह पर चलेगा। चुनावी माहौल में ये कदम सरकार की प्रतिबद्धता दिखाते हैं। नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार बदल रहा है, और ये फैसले उस बदलाव का हिस्सा हैं#

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