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#लखनऊ:- जालसाजों ने तैयार किए 400 घुसपैठियों के परिवार और फर्जी पहचान पत्र#


#लखनऊ:- जालसाजों ने तैयार किए 400 घुसपैठियों के परिवार और फर्जी पहचान पत्र#

#लखनऊ: यूपी में जन्म प्रमाण पत्रों के नाम पर किया गया अब तक का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिले के सलोन ब्लॉक में जालसाजों ने कागजों पर 400 से अधिक फर्जी परिवार खड़े कर दिए। किसी परिवार में 25 बच्चों का जन्म दिखाया गया तो कहीं एक ही घर में 11 से 15 बच्चों के फर्जी प्रमाणपत्र बना दिए गए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के हस्तक्षेप के बाद जब इस पूरे मामले की गहन जांच शुरू हुई, तो यह संगठित गिरोह का ऐसा बड़ा नेटवर्क निकला जो बांग्लादेशी, रोहिंग्या और पाकिस्तानी संदिग्ध घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर रहा था#

#जांच में पाया गया कि नूरुद्दीनपुर, लहुरेपुर और गढ़ी इस्लामनगर गांवों के जिन पतों पर ये परिवार कागजों में दर्ज थे, वहां वास्तव में एक भी ऐसा परिवार मौजूद नहीं था। बुधवार को प्रशासन ने जांच के आधार पर दो सौ से अधिक ऐसे फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों को निरस्त कर दिया। अधिकारियों के अनुसार कुल 1046 फर्जी प्रमाणपत्रों को अब तक निरस्त किया जा चुका है और कार्रवाई अभी जारी है#

#जांच के दौरान सामने आया कि जालसाजों ने तीन गांवों में एक के बाद एक फर्जी परिवारों की रचना की। नूरुद्दीनपुर गांव के एक कथित निवासी आरिफ मलिक के नाम पर 15 बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बने थे। लेकिन जांच टीम जब गांव पहुंची, तो वहां ऐसा कोई परिवार मिला ही नहीं। इसी तरह अजमत अली के नाम पर 13, इमरान खान के नाम पर 9 बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए थे। जांच में यह सभी परिवार पूरी तरह फर्जी पाए गए। इतना ही नहीं, ऐश मोहम्मद, अब्दुल अजीज, अब्दुल अली और अकबर अली जैसे नामों पर भी फर्जी पते, फर्जी कागजात और फर्जी परिवार तैयार किए गए थे। इन नामों में से कई संदिग्ध पहचान वाले व्यक्तियों के थे#

#बांग्लादेशी, रोहिंग्या और पाकिस्तानी घुसपैठियों को दी जा रही थी भारतीय पहचान#

#एनआईए की जांच में बड़ा खुलासा हुआ। इन फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए बांग्लादेशी, रोहिंग्या और पाकिस्तानी घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता दिलाने की कोशिश की जा रही थी। जिन संदिग्धों के लिए ये प्रमाणपत्र बनाए गए, उनमें चार बांग्लादेश, दो रोहिंग्या की पहचान सुनिश्चित हुई है। इन सबके दस्तावेजों में उत्तर प्रदेश के ग्रामीण पतों को आधार बनाकर उन्हें भारतीय नागरिक दिखाया गया था। जांच में पाया गया कि यह पूरा काम एक संगठित गिरोह कर रहा था, जिसमें स्थानीय दलाल, पंचायत स्तर के कर्मचारी और कुछ बाहरी लोग शामिल हो सकते हैं#

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