#मुर्शिदाबाद:- पश्चिम बंगाल- मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ की नींव पूरी तरह राजनीति से प्रेरित#
#मुर्शिदाबाद:- पश्चिम बंगाल- मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ की नींव पूरी तरह राजनीति से प्रेरित#
#मुसलमानों को सांप्रदायिकता की आग में झोंक रहे हैं हुमायूं कबीर#
#मुर्शिदाबाद:- पश्चिम बंगाल- के निलंबित तृणमूल कांग्रेस विधायक हुमायूं कबीर द्वारा 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद में “बाबरी मस्जिद” के नाम पर मस्जिद की नींव रखना अब धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक स्टंट के तौर पर देखा जा रहा है। यह कदम न सिर्फ सामाजिक सौहार्द को चोट पहुँचाने वाला है, बल्कि मुसलमानों को एक बार फिर सांप्रदायिक टकराव की ओर धकेलने की साजिश के रूप में सामने आया है#
#इस्लाम में साफ तौर पर कहा गया है कि#
#विवादित नाम, विवादित ज़मीन या ऐसे किसी भी निर्माण से बचना चाहिए जिससे समाज में फसाद और भाईचारे के टूटने का अंदेशा हो#
#इसके बावजूद हुमायूं कबीर ने जानबूझकर 6 दिसंबर- वही तारीख जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी- को मस्जिद की नींव रखकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए#
#सवालों के घेरे में हुमायूं कबीर का दोहरा चरित्र#
#गौर करने वाली बात यह है कि 2019 में जब अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, उस समय हुमायूं कबीर भाजपा के साथ खड़े नजर आए थे। तब न तो उन्हें बाबरी मस्जिद की याद आई और न ही किसी नए मस्जिद निर्माण की चिंता#
#ठीक चुनावों से पहले, अचानक बाबरी मस्जिद के नाम पर राजनीति करना उनके सांप्रदायिक एजेंडे की ओर इशारा करता है#
#आग में घी डालने जैसा कदम#
#देश में मौजूदा हालात ऐसे हैं जहाँ मुसलमानों को अक्सर संदेह की नजर से देखा जा रहा है। ऐसे संवेदनशील समय में बाबर के नाम पर मस्जिद निर्माण की घोषणा करना, सामाजिक तनाव को और बढ़ा सकता है#
#नींव कार्यक्रम के दौरान कुछ तस्वीरें सामने आईं, जिनमें मुसलमानों का एक वर्ग ईंटें सिर पर ढोते हुए नजर आया। वहीं, कुछ तस्वीरों को मस्जिद निर्माण के लिए चंदा जुटाने का दावा भी किया जा रहा है#
#सबसे बड़ा सवाल: चंदा अचानक कहाँ से आया#
#2019 के फैसले के बाद अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए जो सरकारी तौर पर ज़मीन दी गई, उस पर आज तक एक ईंट भी नहीं लग सकी। वजह बताई गई—चंदे का न आना#
#ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि#
#जो चंदा छह सालों में अयोध्या की मस्जिद के लिए नहीं जुट सका, वह अचानक बंगाल की इस कथित बाबरी मस्जिद के लिए कहाँ से आ गया#
#निष्कर्ष: मुर्शिदाबाद में मस्जिद की नींव धार्मिक ज़रूरत नहीं, बल्कि राजनीतिक ध्रुवीकरण की साजिश प्रतीत होती है। हुमायूं कबीर का यह कदम न इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप है और न ही समाज के हित में#
#यह पूरी घटना एक बार फिर साबित करती है कि कुछ नेता अपने सियासी फायदे के लिए समाज को बांटने से भी नहीं हिचकते#

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