ईरान से व्यापार को लेकर अमरीकी प्रतिबंधों पर चीन का पलटवार, आख़िर भारत क्यों यह साहस नहीं दिखा पा रहा है
ईरान से व्यापार को लेकर अमरीकी प्रतिबंधों पर चीन का पलटवार, आख़िर भारत क्यों यह साहस नहीं दिखा पा रहा है?
चीन ने ईरान से तेल ख़रीदने को लेकर अमरीका द्वारा चीनी कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों को अमरीका की ग़ुंडागर्दी क़रार दिया है।
वहीं अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने धमकी देते हुए कहा, हम चीन और दूसरे देशों को यह चेतावनी दे रहे हैं कि हम उस देश पर प्रतिबंध लगा देंगे जो प्रतिबंधों का उल्लंघन करेगा।
अमरीका और चीन के बीच बड़ा भू-राजनीतिक टकराव चल रहा है, ऐसे में तेहरान को अलग-थलग करने के वाशिंगटन के एजेंडे में शामिल होना बीजिंग के हित में नहीं है।
ईरान-चीन सहयोग की सही रूपरेखा जनवरी 2016 में शी जिनपिंग की तेहरान यात्रा के दौरान तैयार हुई। दोनों देश अगले 10 वर्षों में व्यापार को 600 अरब डॉलर तक ले जाने के लिए सहमत हुए। इसी के साथ दोनों देशों ने 25 वर्षीय मज़बूत सहयोग की बुनियाद रखी। चीन की क़रीब 100 बड़ी कंपनियां ईरान के ऊर्जा और ट्रांस्पोर्ट जैसे सेक्टरों में निवेश कर रही हैं।
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अमरीका बातचीत में सबसे बड़ी रुकावट, हम दूषित माहौल में बातचीत नहीं कर सकतेः राष्ट्रपति रूहानी
राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि तर्क व दलील से संपन्न ईरान बातचीत से नहीं डरता और न ही उससे फ़रार कर रहा है बल्कि बातचीत के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट अमरीका है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ईरान की आवाज़ को दुनिया तक पहुंचाने का एक उचित मंच है।
ईरान के राष्ट्रपति ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ईरान की आवाज़ को दुनिया तक पहुंचाने का एक उचित मंच है।
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मलेशिया के प्रधान मंत्री ने होलोकॉस्ट के बारे एक अहम सवाल उठाया...
सीरिया में मिले अमरीकी मीज़ाइल, आतंकवाद से संघर्ष की फिर खुली पोल।
चीन ने ईरान से तेल ख़रीदने को लेकर अमरीका द्वारा चीनी कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों को अमरीका की ग़ुंडागर्दी क़रार दिया है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान जारी करके कहा, हम हमेशा से ही दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप और एकपक्षीय प्रतिबंधों का विरोध करते रहे हैं।
बयान में कहा गया है कि ईरान के साथ चीन का सहयोग क़ानूनी है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए, हम अमरीका से अनुरोध करते हैं कि वह अपनी इस ग़लती को सुधार ले।
वहीं अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने धमकी देते हुए कहा, हम चीन और दूसरे देशों को यह चेतावनी दे रहे हैं कि हम उस देश पर प्रतिबंध लगा देंगे जो प्रतिबंधों का उल्लंघन करेगा।
अमरीका और चीन के बीच बड़ा भू-राजनीतिक टकराव चल रहा है, ऐसे में तेहरान को अलग-थलग करने के वाशिंगटन के एजेंडे में शामिल होना बीजिंग के हित में नहीं है।
चीन अपने राष्ट्रीय हितों के मुक़ाबले में अमरीकी प्रतिबंधों को कोई महत्व नहीं देता है और वह खुलेआम ईरान से तेल और अन्य वस्तुएं आयात कर रहा है।
रॉबर्ट कपलान ने हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखा थाः चीन के लिए ईरान का महत्व यूरेशिया के महत्व से कम नहीं है।
रॉबर्ट कपलान ने हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखा थाः चीन के लिए ईरान का महत्व यूरेशिया के महत्व से कम नहीं है।
इसमें कोई शक नहीं है कि मध्यपूर्व में ईरान, चीन का सबसे महत्वपूर्ण और विश्वसनीय भागीदार है। ईरान प्राकृतिक संसाधनों और मानव पूंजी में पहला देश है जिसे एक अनछुआ विशाल बाज़ार भी कह सकते हैं। इसके अलावा वैश्विक राजनीति के स्तर पर ईरान एक बड़ा खिलाड़ी भी है।
अब अगर हम चीन की नज़र से देखें तो हमें ऐसा कोई कारण नज़र नहीं आता, जिसकी वजह से बीजिंग ईरान के ख़िलाफ़ अमरीका के अधिकतम दबाव के अभियान को सफल बनाने में अपनी भूमिका अदा करे।
सन् 2000 की शुरूआत से ही चीन, ईरान का प्रमुख व्यापारिक साझेदार और तेल ग्राहक बन गया। चीनी योजनाकारों ने एशिया से यूरोप को जोड़ने की बेल्ट एंड रोड परियोजना में ईरान को सबसे अहम कड़ी के रूप में रेखांकित किया है। वहीं अमरीका के ख़िलाफ़ भूरणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए चीन, ईरान के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी है।
सन् 2000 की शुरूआत से ही चीन, ईरान का प्रमुख व्यापारिक साझेदार और तेल ग्राहक बन गया। चीनी योजनाकारों ने एशिया से यूरोप को जोड़ने की बेल्ट एंड रोड परियोजना में ईरान को सबसे अहम कड़ी के रूप में रेखांकित किया है। वहीं अमरीका के ख़िलाफ़ भूरणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए चीन, ईरान के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी है।
ईरान-चीन सहयोग की सही रूपरेखा जनवरी 2016 में शी जिनपिंग की तेहरान यात्रा के दौरान तैयार हुई। दोनों देश अगले 10 वर्षों में व्यापार को 600 अरब डॉलर तक ले जाने के लिए सहमत हुए। इसी के साथ दोनों देशों ने 25 वर्षीय मज़बूत सहयोग की बुनियाद रखी। चीन की क़रीब 100 बड़ी कंपनियां ईरान के ऊर्जा और ट्रांस्पोर्ट जैसे सेक्टरों में निवेश कर रही हैं।
चीनी सरकार ने अपने देश की कंपनियों को 10 अरब डॉलर का लोन दिया है, ताकि वह मशहद से बूशहर को रेलवे से जोड़ने वाली परियोजना और इस जैसी अन्य परियोजनाओं में निवेश कर सकें।
केवल इतना ही नहीं, बल्कि चीन ओमान खाड़ी में स्थित चाबहार बंदरगाह के विकास को गति प्रदान करने में भी सहोयग करना चाहता है। यह परियोजना भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए उसे सैंपी गई थी। लेकिन चाबहार परियोजना को अमरीकी प्रतिबंधों से छूट हासिल होने के बावजूद भारत ने 2017 के बाद से चाबहार के लिए आवंटित बजट में से कुछ ख़र्च नहीं किया। भारत सरकार ने हर साल क़रीब 2 करोड़ जॉलर इस परियोजना पर ख़र्च के लिए आवंटित किए थे, जो इसी साल प्रधान मंत्री के दोबारा सरकार बनाने के बाद घटकर केवल 60 लाख डॉलर तक रह गए।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 में ट्रम्प के परमाणु समझौते से निकलने और ईरान पर फिर से प्रतिबंध लागू करने से पहले से ही भारत की महत्वाकांक्षी चाबहार योजना में रूची कम हो गई थी।
हालांकि: प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को अपनी सरकार की विदेश नीति की प्राथमिकता घोषित किया है, ताकि भारत पूरब और पश्चिम के अपने सहयोगियों के साथ व्यापार को गति प्रदान कर सके।
निश्चित रूप से भारत, चीन की महत्वाकांक्षी वैश्विक परियोजना बेल्ट एंड रोड से चिंतित है, जिसका वह विरोध कर रहा है।
भारत को पश्चिम और मध्य एशिया से जोड़ने वाली प्रमुख खड़ी ईरान है, चाबहार बंदरगाह भी इसीलिए भारत के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन जिस तरह से चीन ईरान के साथ अपने व्यापारिक संबंधों की रक्षा कर रहा है, भारत में उस साहस की कमी साफ़ दिखाई पड़ती है।
भारत में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी की दक्षिणपंथी विचारधारा की भी किसी हद तक इसमें भूमिका है। 2014 में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी द्वारा सरकार गठन के बाद से ही भारत की विदेश नीति का झुकाव ईरान के सबसे बड़े दुश्मन इस्राईल और अमरीका की ओर अधिक रहा है। हालांकि इस दौरान नई दिल्ली ने तेहरान, तेल-अवीव और वाशिंगटन के बीच अपने रिश्तों में संतुलन बनाने का भी प्रयास किया है। लेकिन संतुलन बनाने के प्रयास में भारत कब अमरीकी दबाव के सामने झुकता गया और उसने क्षेत्र में अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता कब कर लिया, इसका भारतीयों को एहसास नहीं हुआ।
अब जब ईरान पर अमरीका की अधिकतम दबाव की नीत क़रीब अपने अंत को पहुंच रही है और दोनों ही देश भविष्य में किसी समाधान की आशा कर रहे हैं, निश्चित रूप से ईरान के विशाल ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिए भारतीय कंपनियां चीनी कंपनियों के सामने कहीं ठहरती नज़र नहीं आयेंगी। ईरान पर भी यह घोषणा कर चुका है कि जो देश मुश्किल हालात में उसके साथ खड़े रहे हैं वह उन्हें अपना विश्वसनीय दोस्त मानता है।
इसलिए भारत जो अपने पड़ोसी देश चीन से प्रतिस्पर्धा करने का इरादा रखता है, अपने पड़ोसी सहयोगियों को चीन के हाथों खो देने के बाद मध्यपूर्व और विश्व में हारे हुए घोड़ों पर बाज़ी लगा रहा है। msm
जानिये इराक़ी प्रधान मंत्री को सऊदी अरब ने किस लिये दौरे पर बुलाया था...
सऊदी अरब ने इराक़ से रियाज़-सनआ के बीच मध्यस्था की अपील की है।
इराक़ी संसद में अलफ़त्ह गठजोड़ के सदस्य मीसाक़ अलहामेदी ने सऊदी अधिकारियों के इराक़ से रियाज़-सनआ के बीच मध्यथ्सता कराने के निवदेन की सूचना दी है।
अलमामूला वेबसाइट के अनुसा, मीसाक़ अलहामेदी ने इराक़ी प्रधान मंत्री आदिल अब्दुल महदी के हालिया रियाज़ दौरे की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब्दुल महदी ने यमन संकट के हल के लिए रियाज़ सरकार के अनुरोध पर सऊदी अरब का दौरा किया।
मीसाक़ अलहामेदी ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि सऊदी अरब सार्वजनिक तौर पर किसी भी देश से मध्यस्थता का निवेदन नहीं कर रहा है, कहा कि सऊदी अधिकारी यमन जंग में अपनी हार क़ुबूल करने के लिए तय्यार नहीं हैं।
इराक़ी प्रधान मंत्री आदिल अब्दुल महदी पिछले बुधवार को सऊदी अरब के दौरे पर गए थे जहां उन्होंने सऊदी शासक सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ और युवराज मोहम्मद बिन सलमान से भेंटवार्ता की थी।
अमरीका बातचीत में सबसे बड़ी रुकावट, हम दूषित माहौल में बातचीत नहीं कर सकतेः राष्ट्रपति रूहानी
राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि तर्क व दलील से संपन्न ईरान बातचीत से नहीं डरता और न ही उससे फ़रार कर रहा है बल्कि बातचीत के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट अमरीका है।
डॉक्टर हसन रूहानी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें अधिवेशन में भाग लेने के बाद, शुक्रवार को तेहरान पहुंचने पर पत्रकारों से कहा कि पाबंदी और अत्यधिक दबाव से दूषित माहौल में यहां तक गुट पांच धन एक के फ़्रेकवर्क में भी ईरान बातचीत नहीं करेगा।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन के अवसर पर विभिन्न देशों के अधिकारियों के साथ विस्तृत भेंटवार्ता की ओर इशारा करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति व अधिकारी ऐसा नहीं है जो परमाणु समझौते जेसीपीओए से अमरीका के निकलने की भर्त्सना न करता हो और सभी ने कहा कि अमरीका का जेसीपीओए से निकलना ग़लत है।
ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि योरोप, एशिया और अफ़्रीक़ा सहित दुनिया के बड़े बड़े अधिकारियों ने ईरानी शिष्टमंडल से मुलाक़ात का निवेदन किया और जितना समय रहा उसमें ईरानी राष्ट्र की सत्यता व मज़लूमियत का संदेश विश्व समुदाय तक पहुंचाया गया।
डॉक्टर हसन रूहानी ने बल दिया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन के अवसर पर विभिन्न पक्षों को यह समझाया गया कि ईरान दूषित माहौल में बातचीत नहीं करेगा।
ग़ौरतलब है कि ईरानी राष्ट्रपति सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में भाग लेने न्यूयॉर्क पहुंचे जहां उन्होंने महसभा में भाषण देने के अलावा क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ईरान के दृष्टिकोण की व्याख्या की और विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों व अधिकारियों सें भेंटवार्ता की।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ईरान की आवाज़ को दुनिया तक पहुंचाने का एक उचित मंच है।
ईरान के राष्ट्रपति ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ईरान की आवाज़ को दुनिया तक पहुंचाने का एक उचित मंच है।
महासभा के 72वें सम्मेलन में भाग लेने के लिए न्यूयार्क के लिए रवाना होने से पहले रविवार की सुबह तेहरान में राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा, राष्ट्र संघ महासभा का सम्मेलन ईरानी राष्ट्र की आवाज़ विश्व समुदाय तक पहुंचाने और अमरीका एवं पश्चिम के भ्रम को दूर करने का एक उचित अवसर है।
राष्ट्रपति रूहानी न्यूयॉर्क की अपनी यात्रा के दौरान, महासभा के सम्मेलन में भाषण देने के अलावा अमरीका में विभिन्न राजनीतिक हस्तियों एवं ईरानी नागरिकों से मुलाक़ात भी करेंगे।
अमरीका में वे बेल्जियम, स्वीडिन, ऑस्ट्रिया, फ़्रांस, ब्रिटेन, जापान, पाकिस्तान, दक्षिण अफ़्रीक़ा और बोलीविया के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाक़ात करेंगे।
रूहानी का कहना था कि वे महासभा के सम्मेलन के इतर म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के नस्लीय सफ़ाए के बारे में आयोजित होने वाली इस्लामी सहयोग संगठन की बैठक में भी भाग लेंगे।
तुर्की ईरान से तेल और गैस की ख़रीदारी जारी रखेगाः अर्दोग़ान।
तुर्की ईरान से तेल और गैस की ख़रीदारी जारी रखेगाः अर्दोग़ान।
तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि अंकारा ईरान से लंबे समय तक गैस की ख़रीदारी के प्रति यथावत कटिबद्ध है
तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा है कि अमेरिका के ग़ैर क़ानूनी प्रतिबंधों के बावजूद वह ईरान से तेल और गैस की ख़रीदारी जारी रखेंगे।
लेबनानी टीवी चैनल अलमयादीन की रिपोर्ट के अनुसार रजब तय्यब अर्दोग़ान ने कहा कि ईरान से तेल और गैस की ख़रीदारी का रुकना असंभव है और तेहरान एवं अंकारा के बीच होने वाले व्यापारिक लेन- देन में वृद्धि होगी।
तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि अंकारा ईरान से लंबे समय तक गैस की ख़रीदारी के प्रति यथावत कटिबद्ध है और तुर्की अपनी ज़रूरतों के अनुसार अमल करेगा।
ज्ञात रहे कि तुर्की अपनी आवश्यकता की 40 प्रतिशत बिजली का उत्पादन प्राकृतिक गैस से करता है और ईरान तुर्की को गैस की आपूर्ति करने वाला एक मुख्य देश है।
ख़लीफ़ा हफ़्तर की असैनिक हवाई अड्डे पर बमबारी, संरा हुआ नाराज़।
लीबिया में गृहयुद्ध जारी है और ख़लीफ़ा हफ़्तर की सेना ने 24 घंटे में त्रिपोली हवाई अड्डे पर तीन बार बमबारी की है।
अरब-24 न्यूज़ साइट के अनुसार जनरल ख़लीफ़ा हफ़्तर की सेना ने गुरुवा को एक बार फिर त्रिपोली के मुईतीक़ा हवाई अड्डे पर बमबारी की है। 24 घंटे के दौरान ख़लीफ़ा हफ़्तर की सेना की यह तीसरी बमबारी थी।
ख़लीफ़ा हफ़्तर की सेना ने बुधवार की रात भी दो बार त्रिपोली के हवाई अड्डे पर बमबारी की थी। जनरल ख़लीफ़ा हफ़्तर से जुड़े सूत्रों ने त्रिपोली हवाई अड्डे पर हवाई हमलों की पुष्टि करते हुए दावा किया कि इस बमबारी में तुर्की का एक ड्रोन, हथियार डिपो और सैन्य अड्डे तबाह हुए हैं।
ज्ञात रहे कि मोइतिक़ा हवाई अड्डा त्रिपोली का एकमात्र असैनिक हवाई अड्डा है। इस हवाई अड्डे के बंद होने की वजह से यहां आने वाली हज़ारों उड़ानों को मिस्राता भेजा गया है।
लीबिया के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिनिधि ग़स्सान सलामा ने कहा है कि मुईतिक़ा हवाई अड्डे पर बमबारी स्वीकार्य नहीं है क्योंकि असैनिक लक्ष्यों पर हमला, युद्ध अपराध है।
मलेशिया के प्रधान मंत्री ने होलोकॉस्ट के बारे एक अहम सवाल उठाया...
मलेशिया के प्रधान मंत्री ने अमरीका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान होलोकॉस्ट के संबंध में एक अहम सवाल उठाया है।
महातीर मोहम्मद ने बुधवार को अमरीका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में बुधवार को होलोकॉस्ट घटना में मारे जाने वालों की संख्या पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस घटना के समर्थक और विरोधी अलग अलग आंकड़ा पेश करते हैं।
उन्होंने कहा कि जर्मन नाज़ियों के हाथों यहूदियों के जनसंहार के बारे में इस्राईल के वर्णन का विरोध करना, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का इस्तेमाल है।
महातीर मोहम्मद ने कहा कि हम क्यों नहीं यहूदियों के ख़िलाफ़ बात कर सकते, जबकि मलेशिया में बहुत से लोग हैं जो मेरे बारे में ग़लत बाते कहते हैं और मैं उन्हें नहीं रोकता।
ग़ौरतलब है कि अमरीका और योरोप सहित दुनिया के बहुत से देशों में प्रभावी ज़ायोनी लॉबी इस बात की कोशिश करती है कि होलोकॉस्ट के बारे में ज़ायोनी शासन का जो वर्णन है उसे बिना किसी प्रश्न के स्वीकार किया जाए और अगर कोई इसका विरोध करता है तो उसे यहूदी विरोधी दर्शाने की कोशिश की जाती है।
इस बारे में यहूदी विचारक जैकब कोहेन का कहना हैः इस्राईल होलोकॉस्ट की घटना को अतिग्रहण का औचित्य दर्शाने और विश्व जनमत का समर्थन हासिल करने के लिए एक हथकंडे के तौर पर इस्तेमाल करता है।
उन्होंने कहा कि इस्राईल वर्षों से होलोकॉस्ट की आड़ में फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का दमन कर रहा है।
सीरिया में मिले अमरीकी मीज़ाइल, आतंकवाद से संघर्ष की फिर खुली पोल।
अमरीका की ओर से सीरिया में सक्रिय आतंकवादियों के लिए हथियारों का समर्थन यथावत जारी है।
स्पूतनिक न्यूज़ एजेन्सी के अनुसार सीरियाई सेना के एक कमान्डर ने घोषणा की है कि देश के पश्चिमी क्षेत्र इदलिब में आतंकवादियों की एक सुरंग से अमरीकी मीज़ाइल और अन्य हथियार बरामद हुए हैं।
सीरियाई सेना के कमान्डर का कहना है कि यह हथियार नैटो के हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार इसी क्षेत्र में ड्रोन तैयार करने की एक फैक्ट्री भी मिली है। सीरियाई सेना के कमान्डर ने बताया है कि जिस सुरंग से यह हथयार बरामद हुए हैं वह आतंकवादियों का गढ़ थी।
बताया गया है कि इस सुरंग में 5 हज़ार आतंकवादियों की गुंजाइश है और यह आतंकवादी चार साल तक यहां से सीरियाई सेना के विरुद्ध अमरीकी हथियारों से हमले करते रहे हैं।
ज्ञात रहे कि अमरीका और नैटो ने सऊदी सरकार सहित क्षेत्र की रूढ़ीवादी अरब सरकारों के साथ मिलकर 9 साल तक सीरिया में तकफ़ीरी आतंकवादियों की व्यापक मदद की जिन्हें दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से इस में।।।
सम्पादकीय: डीपी सिंह चौहान मो09453557242/07398518888
सम्पादकीय: डीपी सिंह चौहान मो09453557242/07398518888




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