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#हरदोई : कछौना- नगर पंचायत बोर्ड की बैठक न होने के कारण कस्बे की प्रमुख मार्गे अपनी बदहाली पर बहा रही आंसू#


#हरदोई : कछौना- नगर पंचायत बोर्ड की बैठक न होने के कारण कस्बे की प्रमुख मार्गे अपनी बदहाली पर बहा रही आंसू#

#हरदोई : कछौना- नगर पंचायत कछौना पतसेनी की प्रमुख सड़कें विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते बदहाल हैं। एक वर्ष से ज्यादा नगर पंचायत बोर्ड की बैठक न होने के कारण विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं। नगर वासियों द्वारा सड़कों का जीर्णोद्धार कराने हेतु आवाज उठाने के बावजूद कोई पुरसाहाल नहीं है। नगर की प्रमुख सड़कों का जीर्णोद्धार के लिए सामाजिक कार्यकर्ता बैजनाथ ने शासन प्रशासन को पत्र लिखकर मांग की है। दिए गए पत्र में कस्बा की प्रमुख मार्ग कछौना चौराहे से स्टेशन मार्ग पर जगह-जगह बजडी उखड़ जाने के कारण काफी गड्ढे हो गए हैं । इस मार्ग पर कई विद्यालय व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी है। सड़क पर गड्ढे होने के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। यह मार्ग लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आता है। कस्बे की दूसरी प्रमुख सड़क बाबा कुशीनाथ मंदिर से बस्ती होते हुए बाबूलाल पुलिया तक मार्ग काफी जर्जर हो चुका है। डामर पूरी तरह से उखड़ चुका है। नालियां भी टूट चुकी है। तीसरी प्रमुख सड़क बाबूलाल अग्रवाल के घर से नटपुरवा ठाकुरगंज तक मार्ग भी दयनीय हालत में हैं। ईटा बजरी गायब है । चौथी सड़क गोल बिल्डिंग से सूठेना बाईपास मार्ग के अंत्येष्टि स्थल तक काफी जर्जर है। जल निकासी हेतु बना नाला भी पूरी तरह टूट चुका है। पूरे मार्ग से गुजरना दुष्कर है। यह मार्ग भी लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आता है। पांचवी सड़क लखनऊ पलिया मार्ग से गौसगंज मार्ग पर ईदगाह तक काफी जर्जर है। कस्बा आने का प्रमुख मार्ग भी है। गौसगंज कछौना मार्ग पर यह एक किलोमीटर हिस्सा टूटा है। दोनों तरफ जल निकासी हेतु नाला भी टूट चुका है। कई बार वाहन पलट चुके हैं। जिससे दुर्घटनाएं घट चुकी है। यह मार्ग लोक निर्माण विभाग के बिलग्राम खंड में आता है। कई मोहल्ले की सड़कें जर्जर हैं। इस नगर का कोई पुरसाहाल नहीं है। नगर अध्यक्ष हमेशा नदारद रहती हैं। उन्हें जनता की समस्याओं के प्रति जिम्मेदार नहीं है। जिसका खामियाजा आम जनमानस को उठाना पड़ रहा है। शासन प्रशासन के जिम्मेदार सुध लेना मुनासिब नहीं समझते। अपने को नगर के नुमाइंदे व सामाजिक कार्यकर्ता कहने वाले लोगों की समस्याओं को लेकर राजनीति करने वाले जिम्मेदार भी मूकदर्शक बने हुए हैं। सबसे ज्यादाा, नौनिहालों व वृद्धजनों एवं मरीजों को आवागमन में परेशानी उठानी पड़ती है। नगर वासियों का धैर्य जवाब दे चुका है, नगर वासियों का गुस्सा आंदोलन के रूप में कभी भी फूट सकता हैै, शायद कोई अनहोनी घटना घटने पर प्रशासन कुम्भकर्णीय नींद से जागे। एक तरफ सरकार नगर पंचायतों को आदर्श नगर पंचायत बनाने के लिए प्रयासरत है, परंतु अधिकारी सरकार की मंशा पर पलीता लगा रहे हैंं, सामाजिक कार्यकर्ता बैजनाथ ने बताया सड़कों की दुर्दशा नहीं सुधरी तो वह आंदोलन के रूप में धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे#

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