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#हरदोई:- बात वो नहीं जिसके चर्चे उङ रहे हैं *महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं#


 मंहगाई पर चर्चा (लेखक= उमेश कुमार एडवोकेट)

#बात वो नहीं जिसके चर्चे उङ रहे हैं#

*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं*

पहले नानी के घर मनती थी छुट्टियां,

आम- अमरूद खाकर मनती थी छुट्टियां, अब तो गोआ मनाली के ट्रिप लग रहे हैं,

*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं*

सरे राह रोज यूं ही नही मिलते थे लोग,

पहले मीलो मील पैदल चलते थे लोग,

आज दो कदम जाने को कैब बुक कर रहे हैं, 

*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं*

घर में बने खाने पर स्वाद लेकर इतराते थे हम,

नमक संग रोटी भी खुशी-खुशी खाते थे हम,

अब तो हर वीकेंड सब होटल में दिख रहे हैं,

*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं*

दो जोङी कपङे में पूरा साल निकलता था, 

बस दिवाली के दिन नया जोङा सिलता था,

अब तो शौक-फैशन के लिए शापिंग कर रहे हैं,

*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं*

एक टीवी से पूरा मोहल्ला चलता था,

एक दूरदर्शन से पूरा घर बहलता था,

अब तो नैटफ्लिक्स और ऐमेजोन प्राइम के जाल में फंस गए हैं,

*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं*

पैंतीस पैसे के खत का इंतजार रहता था,

और खत के अंदर सब के लिए एक त्योहार रहता था,

अब तो बस सब के हाथो में मोबाइल दिख रहे हैं,

*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं*

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