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#उरई: जालौन- चाँद तो बस चाँद है हिन्दू मुसलमां कुछ नहीं, शहर के बजरिया स्थित मंसूरी लाँज में आयोजित किया गया सम्मेलन#


#उरई: जालौन- चाँद तो बस चाँद है हिन्दू मुसलमां कुछ नहीं, शहर के बजरिया स्थित मंसूरी लाँज में आयोजित किया गया सम्मेलन#

#उरई: जालौन- ऑल इंडिया मुशायरा कवि सम्मेलन साहित्यिक संस्था पहचान ने किया शायर कवियों को सम्मानित उरई बज़रिया रोड़ स्थित मंसूरी लॉज में अंजुमन अरबाबे सुख़न के बैनर तले एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मुशायरा एक शाम ज़फ़र कानपुरी के नाम हुआ जिसमें दूर दराज से शायर कवियों के साथ स्थानीय कलमकारों ने भी अपने कलाम पेश किए देहली से आए बुजुर्ग शायर रागिब ककरोलवी की सदारत और जिला प्रोवेशन अधिकारी अमरेंद्र पोतस्यायन जी के मुख्य आतिथ्य और पहचान के अध्यक्ष शफीकुर्रहमान कशफी के संचालन में  9 बजे शुरू होना वाला प्रोग्राम देर रात तक चलता रहा अपने गँगा जमुनी रंग से सराबोर प्रोग्राम  मिर्ज़ा साबिर बेग की नाते पाक और कवियत्री प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम की सरस्वती वंदना से शरू हुआ बाहर से आए शायर ज़फ़र कानपुरी ने पढ़ा वफ़ा की राह में नुकसान होता है तो होने दो,दबे हैं फायदे आखों इसी नुकसान के नीचे,खूब वाहवाही लूटी फिर दिल्ली से आए कवि विनय विनम्र ने देशभक्ति से ओतप्रोत कविता पढ़ी उठा शमशीर बन रणवीर माँ की पीर हर ली,बढाई राष्ट्रध्वज की शान उनको है नमन मेरा,जिसे खूब सराहा गया। वहीं उस्ताद शायर साक़ी साहब ने पढ़ा मुझको मत छेड़ो कि गम हूँ तुमने क्या देखा नहीं, हाथ में रंग आ गया तितली का जिसने पर छुआ,,औरैया से शायर अयाज़ अहमद अयाज़ ने पढ़ा जब दिल पागल होता है इश्क़ मुकम्मल होता है,गंगाजल से भी पावन आंखों का जल होता है सुनकर पूरा हॉल वाह वाह कर उठा फिर कवियत्री प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम ने पढ़ा ज़िन्दगी की यही कहानी है,प्यार और दर्द की रवानी है,खूब तालियां बटोरीं कवियत्री शिखा गर्ग ने पढ़ा मुश्किल से घर उतरतीं रोटियाँ, फिर भी लड़ती बिसरति रोटियाँ,अतिथि अमरेंद्र जी ने पढ़ा ज़िन्दगी फूल है कांटा भी है। ज़िन्दगी,ज़िन्दगी अपनी भी है बेगाना है ज़िन्दगी जिसे खूब सराहा गया  प्रोग्राम के आयोजक नईम ज़िया ने पढ़ा शहरे दिल लुट गया हालात की पुरवाई में,दर्द के फूल महकने लगे तन्हाई में,,भरपूर सुना गया हास्य के शायर असरार मुक़री ने पढ़ा जवानी में जिसका थामा था हाथ मैंने, चालीस बरस से उसके अब पाँव दबा रहा हूँ, सुनकर खूब ठहाके गूंजे  फरीद अली बशर ने पढ़ा मैं तो बिक जाता हूँ लोगो प्यार के दो बोल में#

#आओ दिल वालो खरीदो किसकदर सस्ता हूँ मैं,,प्रोग्राम में ज़िले के वरिष्ठ साहित्यकार यगदत्त त्रिपाठी ने पढ़ा ईद भइया दौज दो है चंद्रमा तो एक ही है,चाँद तो बस एक है हिन्दू मुसलमान कुछ नहीं अध्यक्षता  कर रहे बाहर से आये शायर रागिब ककरौ लवी ने पढ़ा आपके अश्क इरादों को बदल सकते हैं,हो सके तो मुझे हंसते हुए रुखसत करना जिसे भरपूर दाद मिली वरिष्ठ कवियत्री माया सिंह अनुज भदौरिया अब्दुल सलाम राही मुहमद फ़राज़ परवेज़ अख्तर फहीम बसौदवी जावेद क़सीम आखिर में पहचान संस्था के अध्यक्ष कशफी संरक्षक साक़ी साहब, उपाध्यक्ष यूसुफ अंसारी, असरार अहमद, मुक़री, संयोजक नईम ज़िया ने सभी क़लमकारों को सम्मानित किया#

रिपोर्टर- गोविन्द सिंह दाऊ- खोज जारी है.24×7 न्यूज चैनल7 हिन्दी दैनिक समाचार पत्र की खास रिपोर्ट...

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