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#हरदोई:- जिला गंगा समिति के तत्वाधान में एक दिवसीय प्राकृतिक खेती की कार्यशाला सम्पन्न#


#हरदोई:- जिला गंगा समिति के तत्वाधान में एक दिवसीय प्राकृतिक खेती की कार्यशाला सम्पन्न#

#हरदोई: जिला गंगा समिति, हरदोई के तत्वावधान में आज नमामि गंगे योजनान्तर्गत प्राकृतिक खेती पर एक कार्यशाला का आयोजन कृषक सभागर, निकट बिलग्राम चुंगी, हरदोई में किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में अशोक सिंह, अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक हरदोई के द्वारा प्रतिभाग किया गया तथा सतीष कुमार उप कृषि निदेशक, सतीष कुमार पाठक जिला कृषि अधिकारी, सोनालिका सिंह यूनिट हेड, कम्युनिकेशन एंड आउटरीच, शिवांग वर्मा जिला परियोजना अधिकारी, लखनऊ प्रभात वर्मा अध्यक्ष, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला हरदोई, राधवेन्द्र सिंह सहायक प्रबन्धक यूपी डास्प एवं जयराम सिंह से०नि० उप परियोजना निदेषक, मुकेश सिंह से० नि० वरिष्ठ वैज्ञानिक के०वी०के० हरदोई एवं 150 से अधिक कृषक उक्त कार्यशाला में उपस्थित रहे । उप कृषि निदेशक के द्वारा अवगत कराया गया कि गौ आधरित प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, इससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है। जनपद हरदोई में गंगा नदी के किनारे चार विकासखण्ड बिलग्राम, माधौंगज, मल्लावां एवं साण्डी में गौ आधारित प्राकृतिक खेती कराने हेतु 50-50 हेक्टे० के क्ल्स्टर कुल 1000 हेक्टे० का चयन किया गया है जिसमें विकासखण्ड मल्लावां 300 हेक्टे०, माधौंगज-300 हे0, बिलग्राम -300 हेक्टे० एवं वि०ख० साण्डी में 100 हैक्टे० कलस्टर बनाकर गौ आधरित प्राकृतिक खेती करायी जायेगी एवं प्रत्येक कलस्टर से 125 कृषक जोडे जायेगे इस प्रकार 20 कलस्टर में 2500 कृषकों से गौ आधारित प्राकृतिक खेती करायी जायेगी । यह एक पारंपरिक और स्थायी कृषि पद्धति है, जिसमें गायों के गोबर और मूत्र का उपयोग करके जैविक खाद और कीटनाशक बनाए जाते हैं। मुख्य अतिथि श्री अषोक सिंह के द्वारा बताया गया कि इस पद्धति के कई महत्वपूर्ण लाभ है गौ आधारित प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले जैविक खाद मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं, जिससे फसलों की उत्पादकता में सुधार होता है। गौ आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से न केवल पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को लाभ पहुंचता है, बल्कि यह किसानों की आय में भी वृद्धि कर सकती है। कृषि विज्ञान केन्द्र प्रथम हरदोई से०नि० वरिष्ठ वैज्ञानिक मुकेष सिंह के द्वारा अवगत कराया प्राकृतिक खेती मिट्टी की सेहत और जैव विविधता को बनाए रखने में मदद करती है। गायों की देखभाल और उपयोग इस पद्धति में गायों का उपयोग न केवल दूध उत्पादन के लिए किया जाता है, बल्कि उनके गोबर और मूत्र का उपयोग जैविक खाद और कीटनाशक बनाने के लिए भी किया जाता है। गौ आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से न केवल पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को लाभ पहुंच सकता है, बल्कि यह किसानों की आय में भी वृद्धि कर सकती है। उनके द्वारा कृशकों को बीजामृत, घनजीवामृत, जीवामृत एवं नीमास्त्र, आदि बनाने की विधि बताई गयी। सोनालिका सिंह के द्वारा अवगत कराया गया कि है गौ आधारित प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों की मांग बढ़ रही है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। प्रभात वर्मा के द्वारा मृदा परीक्षण के विषय में विस्तृत जानकारी देकर मृदा स्वास्थ्य के बारे मे अवगत कराया#

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