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#हैदराबाद:- कृपया पढ़े एवं आगे प्रेषित करें। पोस्ट कड़वी है लेकिन आज की सच्चाई है#


#हैदराबाद:- कृपया पढ़े एवं आगे प्रेषित करें। पोस्ट कड़वी है लेकिन आज की सच्चाई है#

#हैदराबाद: के एक पाठशाला में प्रधानाध्यापक हैं। उनके घर में दूध देने वाला कृष्णा एक दिन अचानक 'भागा भागा  आया और उनके पैरों में गिर गया। बोला की उसकी लड़की ने घर से भागकर एक मुसलमान लड़के से शादी कर ली है, और उसके परिवार के साथ ही रहने लगी हैं। उनसे प्रार्थना की कि मास्टरजी आपही कुछ कीजिए, कृपया हमे इस बर्बादी से बचा लिजिये। मेरे मित्र उनके एक जानकार मुसलमान व्यक्ति को साथ लेकर लड़की से बात करने लड़के के घर गए, लड़की उस मुसलमान परिवार के घर में थी। लड़की को देखकर मेरा मित्र आश्चर्यचकित रह गया, वह संपूर्णतः मुसलमान लड़की की वेशभूषा में थी। मित्र ने पूछा, बेटी तुम ने ऐसा क्यों किया, तुम्हारे मां बाप परेशान हैं।लड़की ने कहा कि वह उस मुसलमान लड़के के साथ पिछले एक साल से प्यार कर रही थी। इस दरमियान उस लड़के ने उसे सारे आयत समझाया, सिखाया, अल्लाह की करामात बताई, उसकी मां ने यानी अब उस लड़की की सास ने उसे कुरान सिखाया, घर में सब साथ मिलजुलकर प्रार्थना करने, मिलकर खानेपीने का रिवाज सिखाया, एक दूसरे के लिए जान तक कुर्बान करने की जज़्बा सिखाया। वह बोली की मेरे 23 साल में मेरे माता पिता ने मुझे कभी भी रामायण, महाभारत, गीता, भगवान का प्रार्थना, नियमानुसार मंदिर जाना ऐसा कोई चीज नहीं सिखाई। मैने तो इस लड़के के साथ आने के बाद ही अल्लाह की सच्ची इबादत, उसकी रहमत पाना सीखी। पापा को तो बस पैसे कमाने से फुरसत ही नही थी, उन्हें पूजा करते मैंनें कभी देखा नहीं, मां अपने साड़ी ब्लाउज के मैचिंग, टेलर के चक्कर काटने, मेकअप वगैरा में ही खुद भी और मुझे भी व्यस्त रखती थी। पिताजी और मां घर में अक्सर झगड़ते रहते थे, खासकर जब दादा–दादी आते तो मां घर में युद्ध छेड़ देती। मिलजुल कर सम्मान से एक परिवार की तरह कभी शांति पूर्वक खुशी- खुशी रहते देखा नहीं, कभी ऐसे अच्छे अनुभव नहीं मिले। लेकिन अब यहां मुझे वो सब कुछ मिला और इसिलिए इनके यहां आने से मैं खुश हूं, अब बताइए, क्या मैं गलत हूँ। लड़की की सारी बात सही है। यह सब सुनकर मित्र कुछ नही कह सका और वापस लौट आया, कृष्ण से बस यह कहां कि जैसा बोएंगे, वैसा ही पाऐंगे।अफसोस की बात यह है की 80% हिंदू परिवार में धर्म की शिक्षा नहीं होती हैं। माता पिता कपड़ों के सिलेक्शन, मैचिंग नही, अपने बच्चों को संस्कृती, आचार–व्यवहार सिखाएं, सुख भोगना नहीं, रीति- रिवाज, शिष्टाचार बचपन से ही सिखाएं। आप बच्चों के आदर्श बनें, धर्मो रक्षती, रक्षिता, अर्थात् धर्म उनकी रक्षा करता हैं जो धर्म की रक्षा–पालन करते हैं। मित्रों सचेत रहिए। अगर आप अपने बच्चों को धर्म नहीं सिखाएंगे, तो बाहर वाले उन्हे अपनाधर्म सिखाएंगा#

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