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#हरदोई:- कछौना- अवैध मिट्टी खनन से सड़कें हो रही ध्वस्त, ग्राम प्रधान ने जिला अधिकारी से लगाई गुहार#


#हरदोई:- कछौना- अवैध मिट्टी खनन से सड़कें हो रही ध्वस्त, ग्राम प्रधान ने जिला अधिकारी से लगाई गुहार#


#हरदोई:- कछौना- अवैध मिट्टी खनन से सड़कें हो रही ध्वस्त, ग्राम प्रधान ने जिला अधिकारी से लगाई गुहार#

#हरदोई: कछौना- वर्तमान समय में राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में अवैध मिट्टी खनन व ओवरलोड वाहन गुजरने से क्षेत्र की संपर्क मार्ग ध्वस्त हो रही है। आवागमन दुष्कर, ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। ग्राम प्रधान मोहम्मद सारिक ने जिला अधिकारी, उप जिला अधिकारी, लोक निर्माण विभाग को समस्या से अवगत कराया#

#बताते चलें कछौना क्षेत्र व औद्योगिक क्षेत्र अवैध खनन का हब बना है। क्षेत्र के ग्राम कटियामऊ, गढ़ी, बघुआमऊ, रैंसों, हरिदास पुर, समोधा, झब्बू खेड़ा, बेरुआ, उसरहा, लोन्हारा, हरिदासपुर, जमसारा आदि ग्रामों में बड़े पैमाने पर मिट्टी खनन चल रहा है। यह मिट्टी खनन पीएनसी कंपनी द्वारा व खनन माफियाओं द्वारा बदस्तूर जारी है। पीएनसी की आड़ में खनन माफिया सक्रिय हैं। रात दिन लगातार जेसीबी, पोकलैंड मशीन से मिट्टी खुदाई के बाद ओवरलोड डंपरों के तेजी से गुजरने से क्षेत्र की सम्पर्क मार्गे ध्वस्त हो गयी हैं। चंद दिनों पहले बनी क्षेत्र की सड़कें झब्बूखेड़ा से उसरहा संपर्क मार्ग, दलेलनगर समोधा मार्ग, बघुआमऊ संपर्क मार्ग, कटियामऊ मार्ग, नैरा संपर्क मार्ग, पुरा संपर्क मार्ग, मल्हपुर मार्ग, गढ़ी कमालपुर मार्ग, गौहानी ककरहिया मार्ग, गौसगंज मार्ग, मतुआ मार्ग, समसपुर मार्ग आदि ध्वस्त हो गए हैं। आमजीवन काफी प्रभावित हो गया है। सड़कों पर गहरे-गहरे गड्ढे हो गए हैं। पुलिया टूट चुकी हैं। जिसके कारण एंबुलेंस वाहन व स्कूली वाहन को पहुंचने में काफी असुविधा हो रही है। आए दिन कोई न कोई हादसा हो रहा है। जिससे लोगों की जान भी जा रही है। सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हो रहा है। चंद दिनों पहले यह सड़के मंडी समिति, लोक निर्माण विभाग, प्रधानमंत्री सड़क ग्राम योजना के तहत जीर्णोद्धार, गड्ढा मुक्त कराई गई थी। वर्तमान तस्वीर में सड़क मौके से गायब हो गई हैं। सड़क के नाम पर केवल गहरे गड्ढे हैं। बरसात के समय आवागमन बिल्कुल बंद हो जाएगा। जिम्मेदार विभाग, जनप्रतिनिधि मूकदर्शक है। इस ज्वलंत समस्या के विषय में ग्राम प्रधान मोहम्मद सारिक ने जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराया, अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाया गया तो लोगों को अपनी जान देकर अधिकारियों की उदासीनता का खामियाजा उठाना पड़ रहा है। जिससे लोगों में काफी आक्रोश है, जो कभी भी गुस्सा आंदोलन के रूप में फूट सकता है#

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