#हरदोई:- मल्लावां- परिवार ,समाज एवं राष्ट्र कल्याण के लिए राम कथा सुनना आवश्यक/ रामस्वरूपचार्य#
#हरदोई:- मल्लावां- परिवार ,समाज एवं राष्ट्र कल्याण के लिए राम कथा सुनना आवश्यक/ रामस्वरूपचार्य#
#हरदोई: मल्लावां- शांती सत्संग मंच श्यामपुर के 50 वे स्वर्ण जयंती वर्ष के प्रथम दिन आध्यात्मिक प्रवचन सम्मेलन के कार्यक्रम में प्रकाश चंद्र गुप्त सहित सभी भाइयों ने देव आवाहन ,आरती व पूजन करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया#
#कामदगिरि पीठाधीश्वर स्वामी रामस्वरूपाचार्य जी ने अपने सत्संग प्रवचन में बताया कि परिवार , समाज तथा राष्ट्र कल्याण के लिए राम कथा का सुनना और उसको जीवन में उतरना बहुत ही आवश्यक है बिना इसके जीवन को सार्थक नहीं बनाया जा सकता है।राम कथा रामचरित्र का अद्वितीय उदाहरण है।प्रातकाल उठि के रघुनाथा, मात-पिता गुरु नावहि माथा।" मातु पिता नहीं मानहि देवा, साधून ते करवाहिही सेवा। वहां संत महात्माओं का कोई मूल्य नहीं था और इसी कारण रावण माहाबलशाली, महाप्रतापी बुद्धिजीवी और चार वेदों के ज्ञाता होने पर भी उसके चरित्र का कोई मूल्य नहीं होने की वजह से उसका वंश पूरा समाप्त हो गया । इसलिए हमको अपने जीवन में परिवर्तन लाने के लिए राम कथा को सुनना और उसको उतरना बहुत ही आवश्यक है।बताया कि इस युग में तीन चीज बड़ी दुर्लभ है प्रथम मनुष्य जन्म, दूसरे संत की छाया और तीसरा सत्संग में लीन रहना उन्होंने कहा कि पुत्र , पत्नी , धन संपत्ति आदि सभी को सुलभ हो जाते हैं लेकिन संत का मिलन और हरि कृपा बड़ी कठिनाई से मिलती है#
#इसी क्रम में सत्संग व संत सम्मेलन में पधारे हुए कई संत महात्माओं ने सत्संग की महत्ता पर जोर दिया और बताया कि इस सत्संग को बराबर सुनने से हमारे मन के विचार और सोच अच्छी होने लगती है और इसके साथ-साथ मनुष्य में देवत्व के गुण उत्पन्न होने लगते हैं। और ईश्वर से जुड़ने का माध्यम बन जाता है#
#प० अशोक शास्त्री ने बताया कि राष्ट्र और समाज का कल्याण रामकथा के माध्यम से होता है। कलयुग में केवल हरि का भजन और राम कथा को सुनने उसके आचरण में लाने से कल्याण होता है।उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र के संरक्षण की सोच रखनी चाहिए। परमात्मा केवल प्रेम और भक्ति मिलता है#
#मंच का संचालन डॉ०अशोक चंद्र गुप्त ने किया।सुरेश चंद्र, दिनेश चंद्र, प्रकाश चन्द्र गुप्त एवं संतोष चंद्रगुप्त ने आरती करके व्यवस्था को संभालते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया#
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