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#हरदोई:- शाहाबाद- राम वनवास, राम, केवट संवाद, दशरथ मरण, भरत मिलन का सफल मंचन#


#हरदोई:- शाहाबाद- राम वनवास, राम, केवट संवाद, दशरथ मरण, भरत मिलन का सफल मंचन#

#हरदोई: शाहाबाद- श्री रामलीला मेला मोहल्ला पठकाना के मंच पर विछोह और व्याकुलता के ऐसे ऐसे दृश्य बीती रात दृष्टव्य हुए कि किसी दर्शक ने दांतों तले उंगलियां दबा लीं तो किसी ने अपने नेत्रों को भींच लिया और किसी के नयन अंततः मंचासीन पात्र कलाकारों की अकुलाहट पर अश्रुपूरित हो गए। मेला मैदान में माताओं बहनों बेटियों समेत बच्चों तक के नेत्र उस समय सराबोर हो गए, जब पर्दा उठा और राम वनवास का वरदान कैकेई ने राजा दशरथ से मांग लिया, परिणामस्वरूप राम के साथ सीता और लक्ष्मण के वनवास जाते ही राजमहल से लेकर सम्पूर्ण अयोध्या का वातावरण बिगड़ गया। असामान्य परिस्थितियों में नर नारी#

#अत्यंत संसयपूर्ण परिस्थिति में जहां लक्ष्मण को गुस्सा आया और उन्होने धनुहा उठाया तभी राम ने न केवल विछोहपूर्ण वातावरण में एक ओर लक्ष्मण को समझाया तो दूसरी ओर अपनी ओर बढ़ते हुए भावपूर्ण भाई भरत को सीने से लगाया। भातृ प्रेम का वह दृश्य देखकर दर्शकों के स्वाभाविक ही नयन छलक पड़े। बडे़ बड़े पत्थर ह्रदय पिघलते परिलक्षित हुए। इतना ही नहीं श्रवण के अंधे माता पिता के श्राप से श्रापित तथा पुत्र वियोग में व्याकुल दशरथ की छटपटाहट पर दर्शकगण जड़वत प्रतीत हुए। सबकेसब स्तब्ध दशा में दशरथ को देख रहे थे और उस समय सभामध्य बैठीं कुछ माताएं ही नहीं अपितु बहुत से वृद्ध पिता भी व्यथित थे, सम्भवतः वह वृद्ध पिता दशरथ मरण के मंचन के समय निज पुत्रों के आचरण या व्यवहार या विछोह से चिंतातुर थे। इसी तरह जीवंत मंचन के मध्य राम लक्ष्मण सीता सुमंत के दर्शन से मंत्रमुग्ध होने पर भी जब निषादराज मांगी नाव न केवट आना अर्थात नहीं आया और जब आया तो पग पखारने पर अड़ गया। यद्वपि पग पखार कर निषादराज ने वन गमन कर रहे राम को सीता लक्ष्मण सहित पार उतारा और अत्यंत व्यथित मंत्री सुमंत को अयोध्या प्रस्थान हेतु सहारा दिया परन्तु संध्या समय जैसे ही मंत्री सुमंत ने असाध्य अयोध्या में मरणासन्न दशरथ को राम के वनवास चले जाने और 14वर्षों तक लौटकर न आने का संदेश सुनाया वैसे ही दशरथ को युवावस्था में दिया गया श्रवण के माता पिता का श्राप स्मरण हो आया और आनन -फानन उनका साक्षात मृत्यु से साक्षात्कार होने लगा तथा देखते ही देखते उनकी आत्मा पुत्र विछोह में छटपटाते छटपटाते क्षीरसिन्धु की ओर प्रस्थान कर गई। अंततः दशरथ के प्राण पखेरू उड़ते ही पर्दा गिर गया और फिर लगभग प्रत्येक दर्शक जीवन की असमंजस स्थिति में ध्यानमग्न होकर मेला मैदान की धरती से धीरे धीरे अपने अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करता हुआ अदृश्य हो गया।मेला समिति के मीडिया प्रभारी ओमदेव दीक्षित के अनुसार मेला मैदान में श्री रामलीला मेला समिति के अध्यक्ष और सभी सक्रिय सदस्यों समेत सहयोगीगण जहां सक्रिय दिखाई दिए,वहीं स्थानीय कोतवाली पुलिस के मात्र 2 आरक्षी ड्यूटीरत थे#

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