#लखनऊ:- प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन, संस्कृति विभाग उ०प्र० शासन#
#लखनऊ:- प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन, संस्कृति विभाग उ०प्र० शासन#
#लखनऊ: महोदय, आपको अवगत कराना है कि संगीत नाटक अकादमी संस्कृति विभाग की स्वायत्तशासी संस्था होने के साथ ही विभाग की इकाई है जिसका संचालन विभाग द्वारा किया जाता है तो वह किसी प्रकार की मानवीय अराजकता के लिए स्वतंत्र नहीं है इसका अंकुश माननीय मंत्री एवं विभाग के मुखिया के हाथों में होना चाहिए किन्तु कर्मचारियों की मनमानी लगातार जारी है जिसके चलते जयघोष जैसा अच्छा प्रोजेक्ट आज अंधकार में है और उसमें कार्य कर रहे कर्मियों का भी भविष्य अंधकार में है। जयघोष में सुदृढ़ स्थापना और सञ्चालन का प्रथम वर्ष विभाग के मुखिया माननीय मंत्री जयवीर सिंह एवं प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम जी के कल्पना शक्ति एवं दृढ संकल्प का परिणाम था जो कि माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ जी के विकासवादी सोच को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से पूरा किया। इसका शुभारंभ माननीय मुख्यमंत्री जी के कर कमलों द्द्वारा काकोरी में आज़ादी के अमृत महोत्सव के उद्घाटन के साथ किया गया। इसका सम्पूर्ण व्यय आज़ादी के अमृत महोत्सव के मद से किया गया।उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट कारपोरेशन (UPDESCO) के माध्यम से स्थापना एवं उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में पूर्व में स्थापित स्टूडियो जो कि निष्प्रयोज्य था श्री मुकेश मेश्राम की सकारात्मक पहल से जयघोष के माध्यम से कुशल संचालन के साथ साथ समुचित उपयोग एवं कला एवं कलाकारों के अभिव्यक्ति के संरक्षण का एक उचित माध्यम बनकर उभरा था। जयघोष के नियत सञ्चालन की कुव्यवस्था का कारण विभाग के कर्मचारी बने क्योंकि वह उसमें सिर्फ पैसे की तलाश कर रहे थे और शीर्ष पर बैठे अधिकारी और मंत्री उसको विस्तार देने में लगे थे जबकि कुशल स्टाफ और कर्मी पुरे प्रदेश की सांस्कृतिक गतिविधियों की कवरेज एवं कार्यक्रमों को संजोने में लगे थे जिसका मार्गदर्शन सीधे मुकेश मेश्राम जी कर रहे थे। रेडियो कर्मियों के भुगतान संबंधित समस्या- क्योंकि कार्यदायी संस्था को कार्यादेश ही समय पर नहीं दिया जाता था विभागीय अधिकारी कर्मचारी उसमें कुंडली मार के बैठे थे , छह छह माह का कार्यादेश छह माह की सेवा समय पूर्ण हो जाने पर कार्यादेश मिलता था और उसका भुगतान होने में दो माह और लग जाते थे जिस पर अपने ऊपर कोई बात न आये इसलिए विभाग उस पर पर स्वयं जाँच लगाता था फिर उसकी जाँच का समायोजन करते हुए कार्यवाही करते हैं यह समस्या लगातार बनी हुयी है इसका सीधा असर जयघोष संचालन पर पड़ता था और कर्मचारियों को काम करने में असुवुधा होती थी धीरे इस व्यवस्था ने सभी का मनोबल तोड़ दिया#
#जयघोष संचालन हेतु निम्नलिखित मुख्य समस्याए#
1- #जयघोष संचालन हेतु रेडियो कर्मियों के बैठने की उचित व्यवस्था आज तक संभव नहीं हो पायी#
2- #ट्रांसमीटर कक्ष की व्यवस्था विभाग द्वारा करायी जानी थी जो की संगीत नाटक अकादमी और निदेशालय के निर्धारित कर्मचारियों की आपसी लड़ाई के चलते सुनिश्चित नहीं हो पायी#
3- #आउटडोर हेतु ट्रांसपोर्ट / गाड़ी की व्यवस्था का न होना#
#4- #प्रचार प्रसार संबंधित गतिविधियों का न किया जाना#
5- #जयघोष में कार्यक्रम प्रस्तुति हेतु कलाकारों का मिनिमम मानदेय की व्यवस्था का न होना#
6- #कार्यक्रम में आगंतुक/ अतिथि विशेषज्ञ एवं कलाकारों के लिए गेस्ट रूम / अतिथि कक्ष की व्यवस्था को बंद किया गया जो कि पहले थी और अब जयघोष में आने वाले किसी भी अतिथि के बैठने की व्यवस्था नहीं है जबकि उपलब्ध अतिथि कक्ष में ताला लगा रहता है फिर भी जयघोष के उपयोग के लिए रोक दिया गया#
#कृपया इसका त्वरित निराकरण करते हुए जयघोष की पुनर्स्थापना एवं पुनर्जागरण करने के साथ पुरे प्रदेश की संस्कृति के संरक्षण के माध्यम के रूप में विकसित किया जाना उचित होगा/ प्रतिलिपि आवशयक कार्यवाही हेतु प्रेषित;- माननीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ऊ०प्र० सरकार#
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