#हरदोई:- निरन्तर धान-गेहूॅ के फसल चक्र अपनाने से मृदा स्वास्थ्य काफी गिर गया है/ डा0 डीबी सिंह#
#हरदोई:- निरन्तर धान-गेहूॅ के फसल चक्र अपनाने से मृदा स्वास्थ्य काफी गिर गया है/ डा0 डीबी सिंह#
#जीवांश कार्बन की मात्रा बढाकर अच्छा व गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन लें/ डा0 के0के0 सिंह#
#हरदोई: कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक केके सिंह ने बताया है कि आज टोडरपुर ब्लॉक के कृषि विभाग के सभागार में ‘‘फसल अवशेष प्रबन्धन’’ योजनान्तर्गत विकास खण्ड स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उदे्श्य फसल अवशेषों को भूमि में दबाकर मृदा स्वास्थय को सुधारना है#
#इस अवसार पर कृषि विज्ञान केन्द्र, हरदोई के वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा0 डी0बी0 सिंह ने बताया कि निरन्तर धान-गेहूॅ के फसल चक्र को अपनाने से मृदा स्वास्थ्य काफी गिर गया है। क्योंकि धान एवं गेहूॅ की कटाई के पश्चात् दूसरी फसलों को बोने के लिए खेत में पुराने फसलों के अवशेष को खेत में ही जला देते है। जिससे भूमि में जीवांश कार्बन की मात्रा आवश्यकता की लगभग 20 प्रतिशत ही रह गई है भूमि में फसल अवशेष मिलाने से मृदा स्वास्थ्य में सुधार होगा व फसल उत्पादन अच्छा व स्वास्थ्य बर्धक होगा तथा पर्यावरण में सुधार होगा। अतः धान की पराली, अन्य फसलों के अवशेष को भूमि में मशीनों के द्वारा टुकडे कर भूमि में मिलायें ताकि मृदा स्वास्थ्य सुधर सकें व निरन्तर टिकाऊ उत्पादन लिया जा सकें#
#इस अवसर पर केन्द्र के अघ्यक्ष/वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 केके0 सिंह ने बताया कि जल संरक्षण करने, पर्यावरण को प्रदुषण से बचाने एवं मृदा स्वास्थ्य को सुधारने हेतु तथा नमी संरक्षण हेतु पराली आदि फसल अवशेषों को भूमि में मिलाना आवश्यक है, ताकि जीवांश कार्बन की मात्रा बढाकर अच्छा व गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन लिया जा सकें। उन्होंने वेस्ट डिकम्पोजर का प्रयोग कर फसल अवशेष शीघ्र सड़ाने की सलाह दी तथा प्रत्येक वर्ष हरी खाद् के रूप में गेहॅॅू की कटाई के बाद ढैंचा की बुवाई करने की सलाह दी ताकि मृदा स्वास्थ्य सुधर सकें। केन्द्र की गृह वैज्ञानिक डा0 प्रिया वशिष्ठ ने कृषकों के स्वास्थ्य हेतु संतुलित भोजन के महत्व के बारे विस्तार से बताया। कार्यक्रम में लगभाग 108 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने प्रतिभाग किया#
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