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#प्रयागराज:- महाकुम्भ- की दिव्य धरती पर ईशा अंबानी पीरामल, आनंद पीरामल, नताशा पूनावाला और उनके ईष्टमित्रों ने पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में वेदमंत्रों के साथ संगम में लगायी आस्था की डुबकी#


#प्रयागराज:- महाकुम्भ- की दिव्य धरती पर ईशा अंबानी पीरामल, आनंद पीरामल, नताशा पूनावाला और उनके ईष्टमित्रों ने पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में वेदमंत्रों के साथ संगम में लगायी आस्था की डुबकी#

 #गद्गद तन मन, दिव्य, अलौकिक, अद्भुत क्षण#

#संगम की धरती पर संस्कृतियों, राष्ट्रों, राज्यों और विभूतियों का दिव्य संगम#

#महाकुम्भ, सनातन का दिव्य महोत्सव जिसने समानता, सद्भाव और समरसता से सभी को गले लगाया#

#रंग, रूप, जाति, धर्म, वेशभूषा, बड़ा-छोटा, ऊँच-नीच से ऊपर उठकर सनातन का एक ही संदेश सब समान-सब का सम्मान#

#सब का अभिनन्दन और अपनी संस्कृति का वंदन, हम वसुधैव कुटुम्बकम् केवल गाते ही नहीं जीते हैं/ स्वामी चिदानन्द सरस्वती

#प्रयागराज: महाकुम्भ की दिव्य धरती पर ईशा अंबानी पीरामल, आनंद पीरामल, नताशा पूनावाला और उनके ईष्टमित्रों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में संगम में वेदमंत्रों के साथ आस्था की डुबकी लगायी#

#महाकुम्भ, एकता और विश्वास का दिव्य प्रतीक है, संगम की भूमि प्रयाग में प्रतिदिन विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं, दिव्य शक्तियों और विभूतियों का आगमन वैश्विक एकता का दिव्य संदेश दे रहा है#

#ईशा अंबानी पीरामल, आनंद पीरामल और नताशा पूनावाला का पूज्य स्वामी जी के साथ संवाद न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संवाद प्राचीन ज्ञान और आधुनिकता के बीच एक सेतु भी है#

#ईशा अंबानी पीरामल, आनंद पीरामल और नताशा पूनावाला ने संगम के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाई। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करना आत्मा को शुद्ध करने और ईश्वर के प्रति समर्पण को पुनः दृढ़ करने का प्रतीक है#

#महाकुम्भ सिर्फ आध्यात्मिक संगम नहीं है, बल्कि यह उस बेजोड़ संगठन, सहयोग और समर्पण का उदाहरण भी है, जो लाखों भक्तों के लिए एक सुरक्षित और आध्यात्मिक अनुभव सुनिश्चित करता है#

#स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि संगम में केवल नदियों का संगम नहीं है बल्कि यह संस्कृतियों, राष्ट्रों, राज्यों और विभूतियों का दिव्य मिलन का केन्द्र भी है। यह एक जीवंत उदाहरण है सनातन धर्म के उन मूल्यों का, जो समानता, सद्भाव और समरसता की भावना को बढ़ावा देते हैं। यहाँ पर सभी जाति, रंग, धर्म, सामाजिक स्थितियों से ऊपर उठकर एक साझा आध्यात्मिक उद्देश्य की ओर सभी बढ़ते हैं#

#स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सनातन धर्म का संदेश समानता, सम्मान और गरिमा का है। सनातन का संदेश है कि सभी समान हैं और सभी का सम्मान। उन्होंने कहा, महाकुम्भ केवल एक धार्मिक उत्सव ही नहीं है, बल्कि यह इस संदेश का जीवंत रूप है, जहां हर व्यक्ति को समान रूप से सम्मानित और मूल्यवान माना जाता है। उन्होंने कहा कि हम वसुधैव कुटुम्बकम् गाते ही नहीं हैं बल्कि हम इसे जीते भी हैं#

#महाकुम्भ की पवित्र भूमि से यह संदेश पूरी दुनिया तक पहुँच रहा है कि हम सब एक हैं और हम सभी मिलकर एक बेहतर, समान और शांतिपूर्ण दुनिया का निर्माण कर सकते हैं#

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