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#गौतमबुद्ध नगर:- की डीएम बनते ही आईएएस मेधा रूपम ने रचा इतिहास#


#गौतमबुद्ध नगर:- की डीएम बनते ही आईएएस मेधा रूपम ने रचा इतिहास#

#नोएडा: 2014 बैच की IAS अधिकारी मेधा रूपम, इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर हर कहीं छाई हुई हैं. दरअसल, उन्होंने बुधवार को गौतमबुद्ध नगर की डीएम बनते ही इतिहास रच दिया. वो पहली यहां की पहली महिला जिलाधिकारी हैं. साल 1997 में यह जिला बना था. तब से लेकर अभी तक यहां कभी कोई महिला DM नहीं बनी#

#साल 2014 बैच की IAS अधिकारी मेधा रूपम ने बुधवार को सूरजपुर स्थित कलेक्ट्रेट में डीएम का पदभार ग्रहण किया है. गौतमबुद्ध नगर के लिए यह बदलाव प्रशासनिक दृष्टिकोण से एक नया अध्याय माना जा रहा है. मेधा रूपम ग्रेटर नोएडा में पहले भी सराहनीय काम कर चुकी हैं. योगी सरकार ने उनकी कार्यशैली, नेतृत्व, क्षमता और पूर्व अनुभव को देखते हुए उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है#

#मेधा रूपम मूल रूप से आगरा की रहने वाली हैं. उनके पिता ज्ञानेश कुमार केरल कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहे हैं, जो वर्तमान में केंद्रीय चुनाव आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं. मेधा की प्रारंभिक शिक्षा केरल में हुई और उन्हें खेलों में भी गहरी रुचि रही है. वो राष्ट्रीय स्तर की शूटर भी रह चुकी हैं. प्रशासनिक सेवाओं में आने के बाद मेधा रूपम ने बरेली में सहायक मजिस्ट्रेट के रूप में अपना करियर शुरू किया. इसके बाद वह हापुड़ की जिलाधिकारी रहीं और हाल ही में कासगंज जिले की जिम्मेदारी संभाल रही थीं#

#तेज तर्रार अधिकारियों में से एक हैं/ मेधा#

#2014 बैच की IAS अधिकारी मेधा रूपम का प्रशासनिक अनुभव काफी समृद्ध रहा है. उन्हें एक तेज तर्रार अधिकारी के रूप में जाना जाता है. इससे पूर्व उन्होंने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (ACEO) के रूप में भी करीब एक साल तक काम किया है. ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में फरवरी 2023 से जून 2024 तक कार्यकाल के दौरान उन्होंने औद्योगिक विकास, साफ-सफाई, आर्थिक प्रबंधन और खेल सुविधाओं के विस्तार जैसे कई अहम क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पहल की#

#जनकल्याणकारी अधिकारी के रूप में/ पहचान#

#मेधा की कार्यशैली में पारदर्शिता, सक्रियता और नवाचार की झलक साफ देखने को मिलती है. उनके द्वारा शुरू की गई पहलों में इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप में औद्योगिक भूखंडों का आवंटन, पिंक शौचालयों का निर्माण, शहर की सफाई व्यवस्था का सुधार और शहीद विजय सिंह पथिक खेल परिसर को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित करना शामिल हैं. इन कार्यों ने उन्हें एक सक्रिय और जनकल्याणकारी अधिकारी के रूप में पहचान दिलाई#

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