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श्री राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में मां कैकेई ने अपना अनुराग भाग और सुहाग सब को समर्पित कर दिया।


श्री राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में मां कैकेई ने अपना अनुराग भाग और सुहाग सब को समर्पित कर दिया।

रिपोर्ट - सानू सिंह चौहान शाहजहांपुर

शाहजहांपुर //खिरनीबाग रामलीला मैदान में धर्म जागरण समन्वय के तत्वावधान में हो रही नौ दिवसीय विशाल श्री राम कथा के छठवें दिन पूज्य व्यास जी ने राम बनवास का इतना सचित्र वर्णन किया कि सभी श्रोता रो पड़े भगवान श्री राम जी ने अपने कुल की मर्यादा को ध्यान में रखकर वह अपने पिता के वचन की रक्षा करने के लिए प्रसन्न होकर सारा राजपाट त्याग कर वन में चले गए। इससे हमें सीख लेनी चाहिए कि हमें स्वयं की चिंता ना करते हुए यदि जरूरत पड़े तो अपने परिवार, समाज व देश के लिए सब कुछ त्याग देना चाहिए।

वर्तमान परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए श्री व्यास जी ने कहा कि आज के बुजुर्गों को राजा दशरथ से प्रेरणा लेनी चाहिए और शरीर में ताकत रहते ही व आंख की रोशनी रहते ही सारी जिम्मेदारी अपने वारिस को सौंप कर भगवान के सुमिरन में लग जाना चाहिए। राजा दशरथ ने अयोध्या वासियों के समक्ष श्री राम के राज्याभिषेक का प्रस्ताव रखा मगर यह कार्य कल पर छोड़ दिया जिसका परिणाम काफी दुखद रहा। इसलिए पूज्य व्यास जी ने कहा है कि अच्छे कार्यों को टालने की जगह शीघ्र करना ही श्रेयस्कर होता है। सभी को सदैव प्रसन्न रहने की प्रेरणा भगवान श्री राम जी से लेनी चाहिए। भगवान जहां भी रहते हैं प्रसन्न रहते हैं दुःख उनसे कोसों दूर रहता है।

कौशल्या के ऊपर प्रकाश डालते हुए पूज्यश्री ने कहा कि बेटे को बनवास होने के बावजूद भी उन्हें अपने पति की बात वचन याद रहे। मां कौशल्या ने किसी को दोषी नहीं बताया बल्कि कहा कि यदि मां कैकई ने वन जाने को कहा है तो है हे राम वन गमन तुम्हारे लिए सैकड़ों अयोध्या के समान है। वे कहती है कि सुख और दुख तो अपने ही कारणों से होते हैं जब भगवान श्री राम, लखन एवं सीता सहित वन गमन के लिए निकले। तो सभी अयोध्यावासी अपने घरों घरों से भगवान के पीछे निकल पड़े। पूज्य व्यास जी द्वारा जब यह प्रसंग सुनाया गया तो पंडाल में उपस्थित सभी श्रोताओं के आंख में आंसू छलक पड़े। रामचरितमानस में मां के कैकेई बहुत ही महान पात्र हैं। यदि कैकई मां ना होती तो राम कथा बालकांड में ही समाप्त हो जाती। कैकेई मां ने ममता में साहस भरकर पुत्र के प्रति कठोर स्नेह का दर्शन कराया है। मां कैकेई अगर राम को बनवास नहीं कराती तो अखंड भारत वर्ष का स्वरूप मर्यादा से ओत-प्रोत करके रामराज्य की स्थापना नहीं हो पाती। ममता में तनिक कठोरता का होना अनिवार्य है।

श्री व्यास जी ने कहा है कि यदि कैकेई केंद्र में होती ना तो, ममता परिपूर्ण कहानी ना होती। ममता में कठोरता होती ना जो, तब दिव्य अवध राजधानी ना होती। शिव शक्ति लखन ना विराग होते, तब राम के ज्ञान में पानी ना होती। मरता नहीं राम से रावण कभी, कैकेई अवधेश की रानी ना होती।

श्री राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में मां कैकेई अपना अनुराग भाग और सुहाग सब को समर्पित कर दिया। माता सीता पति धर्म के लिए अयोध्या का समूह सुख छोड़ दिया। भैया लखन भाई की सेवा धर्म को निभाने के लिए संपूर्ण वैभव सुख छोड़कर भगवान श्री राम एवं माता सीता की सेवा में 14 बरस वनवास के लिए उनके साथ चल दिए।

इस दौरान आज की कथा में मुख्य यजमान त्रिलोकी नाथ पाण्डेय, नवनीत पाठक व यजमान रूपेश वर्मा, दीप गुप्ता, रितेश वर्मा, मनोज कश्यप, निरंकार शुक्ला, अनिल गुप्ता चेयरमैन, राजीव मिश्रा, संतोष दीक्षित, अरविंद गुप्ता, सरोज राठौर ने श्री रामायण जी की आरती उतारी।

कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय विहिप संरक्षक दिनेश जी बतौर मुख्य अतिथि व रोशनलाल वर्मा विधायक तिलहर, नीरज मौर्य पूर्व विधायक जलालाबाद, देवेंद्र पाल सिंह पूर्व विधायक ददरौल, ईश्वर दयाल जी, अजेंद्र जी सह प्रान्त संगठन मंत्री बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इस दौरान कथा में आये मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि का समिति के अध्यक्ष नवनीत पाठक ने राम दरबार भेंटकर उनका स्वागत किया।

इस दौरान पुनीत मनीषी, धीरज अवस्थी, विजय तुली, प्रमोद अग्रवाल, मयंक प्रताप, आयुष अवस्थी, वरुण राठौर, सिद्धार्थ शुक्ला, अभिनव तिवारी, पुरनदास, शिव शर्मा, विभाग सयोजक, शोभा गुप्ता, उषा मिश्रा, सुमन पाठक आदि हजारों भक्तगण मौजूद रहे।

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