कुर्रिया कलां स्थित मंदिर में लगती है भक्तो की अपार भीड़ --चैत्र व कुआर माह के नवरात्र के समापन के बाद तीन दिन के लिए खुलते हैं कपाट
नवरात्र की समाप्ति के साथ ही आठ अक्टूबर को खुलेगा माता का दरबा।
--कुर्रिया कलां स्थित मंदिर में लगती है भक्तो की अपार भीड़
--चैत्र व कुआर माह के नवरात्र के समापन के बाद तीन दिन के लिए खुलते हैं कपाट
शाहजहांपुर। कांट क्षेत्र के कुर्रिया कलां स्थित आदि शक्ति माता दुर्गा का करीब चार सौ साल पुराना मंदिर आस्था का केंद्र रहा है। यहां की बड़ी मान्यता है, दूर दराज से लोग आकर माता रानी के दर्शन करते हैं। साल भर में दो बार ही खुलने वाले इस मंदिर के कपाट इस बार 8 अक्टूबर मंगलवार को खुलने जा रहे हैं। ऐसी मान्यता है इस मंदिर में दस महाविद्यायों की साधना की जा चुकी है। तंत्र-मंत्र के लिए इसकी महत्ता है। यह मंदिर चैत्र व कुआर माह के नवरात्रि के समाप्ति के बाद ही तीन-तीन दिन भी खोले जाते हैं। तब दूर दराज से आने वाले भक्तगण मातारानी के दर्शन कर मन्नते मांगते हैं। मंदिर के पुजारी गुरुदेव प्रसाद दीक्षित ने बताया कि छह माह बाद तीन दिन के लिए वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होती है। उसके बाद देवी से स्थान छोड़ने का आवाहन किया जाता है। तीन दिन बाद मूर्तियों को हटाकर अन्य स्थान पर रखवा दिया जाता है। मंदिर के व्यवस्थापक ने बताया कि इस बार 8 अक्टूबर को सुबह चार बजे मंदिर के कपाट खुले जायेगे और 10 अक्टूबर को दोपहर दो बजे मंदिर बन्द करवा दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मंदिर के कपाट खुलते ही यहां मेला लगता है जिसमे बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
सम्पादक:- डीपी सिंह चौहान की: खोज जारी है न्यूज चैनल: की रिपोर्ट।
--कुर्रिया कलां स्थित मंदिर में लगती है भक्तो की अपार भीड़
--चैत्र व कुआर माह के नवरात्र के समापन के बाद तीन दिन के लिए खुलते हैं कपाट
शाहजहांपुर। कांट क्षेत्र के कुर्रिया कलां स्थित आदि शक्ति माता दुर्गा का करीब चार सौ साल पुराना मंदिर आस्था का केंद्र रहा है। यहां की बड़ी मान्यता है, दूर दराज से लोग आकर माता रानी के दर्शन करते हैं। साल भर में दो बार ही खुलने वाले इस मंदिर के कपाट इस बार 8 अक्टूबर मंगलवार को खुलने जा रहे हैं। ऐसी मान्यता है इस मंदिर में दस महाविद्यायों की साधना की जा चुकी है। तंत्र-मंत्र के लिए इसकी महत्ता है। यह मंदिर चैत्र व कुआर माह के नवरात्रि के समाप्ति के बाद ही तीन-तीन दिन भी खोले जाते हैं। तब दूर दराज से आने वाले भक्तगण मातारानी के दर्शन कर मन्नते मांगते हैं। मंदिर के पुजारी गुरुदेव प्रसाद दीक्षित ने बताया कि छह माह बाद तीन दिन के लिए वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होती है। उसके बाद देवी से स्थान छोड़ने का आवाहन किया जाता है। तीन दिन बाद मूर्तियों को हटाकर अन्य स्थान पर रखवा दिया जाता है। मंदिर के व्यवस्थापक ने बताया कि इस बार 8 अक्टूबर को सुबह चार बजे मंदिर के कपाट खुले जायेगे और 10 अक्टूबर को दोपहर दो बजे मंदिर बन्द करवा दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मंदिर के कपाट खुलते ही यहां मेला लगता है जिसमे बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
सम्पादक:- डीपी सिंह चौहान की: खोज जारी है न्यूज चैनल: की रिपोर्ट।
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