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सीता हरण,जटायु मोक्ष,शबरी भेंट व हनुमान मिलन प्रसंग को सुनाया जिस पर सभी श्रोता भाव विभोर हो गए

*सीता हरण,जटायु मोक्ष,शबरी भेंट व हनुमान मिलन प्रसंग को सुनाया जिस पर सभी श्रोता भाव विभोर हो गए*

रिपोर्ट - सानू सिंह चौहान शाहजहांपुर

18,,अक्टूबर,,2019

शाहजहांपुर//खिरनीबाग रामलीला मैदान में धर्म जागरण समन्वय के तत्वाधान में हो रही नौ दिवसीय विशाल श्री राम कथा के आठवें दिन श्री राम कथा में पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज जी ने श्रोताओं से कहा कि शबरी के भक्ति से प्रभावित होकर श्री राम जी ने शबरी के जूठे बेर खाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। इसके अलावा सीता हरण, जटायु मोक्ष, शबरी भेंट , व हनुमान मिलन प्रसंग को भाव विहोर होकर सुनाया। जिस पर सभी श्रोता भाव विभोर हो गए।

कथा में व्यास जी ने स्वर्ण मृग की घटना का बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन करते हुए कहा कि जब भक्ति भगवान से विमुख होकर केवल भौतिक साधनों की ओर आकर्षित होती है। तो उसे भगवान प्राप्ति के लिए भटकना पड़ता है। जटायु के प्रसंग की व्याख्या करते हुए कथा व्यास जी ने कहा कि जो दूसरों की सेवा में लगा रहता है उसकी चिंता स्वयं भगवान करते हैं। जैसे शबरी की भक्ति ही थी कि श्रीराम यह जानते हुए कि वह भीलनी जात की है। इसके बावजूद भी उसके झूठे बेरों को खाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। भगवान की साधना में जातिपाती का भेदभाव नहीं होता है। वहीं उन्होंने कहा कि सुग्रीव से मिलना व बाली वध के प्रसंग के माध्यम से समाज को संदेश दिया। कि अधर्म कितना भी मजबूत हो अंत में उसे पराजित होना ही पड़ता है और अधर्म पर धर्म की विजय अवश्य होती है।

कथा प्रसंग में व्यास जी ने कहा कि भाई हो तो लक्ष्मण जैसा। जब भगवान श्री राम बनवास को जा रहे थे तब लक्ष्मण ने अपनी माता से कहा कि मैं भी वनवास जाना चाहता हूं। तो मां ने कहा कि मैंने तो सिर्फ तुम को जन्म दिया है लेकिन असली माता पिता तो राम और सीता ही हैं। लक्ष्मण भाई श्री राम के प्रति समर्पित थे इसलिए व्यास जी ने कहा कि भाई हो तो लक्ष्मण जैसा।

केवट का प्रसंग सुनाते हुए व्यास जी ने बड़े ही भावुक होकर कहा कि जब भगवान श्री राम गंगा नदी के किनारे पहुंचे तो केवट ने नाव में नदी पार कराने से मना कर दिया। नदी पार कराने के एवज में केवट ने पैर धोने की बात कही लेकिन भगवान श्री राम जी ने एकाएक अनुमति नहीं दी। कई जतन के बाद केवट को अनुमति मिली तब केवट अपने घर जाकर पत्नी को सारी घटना के बारे में बताया तो पत्नी भावुक हो गई। पत्नी ने कहा कि आज प्रभु के चरण धोने का सौभाग्य मिला है लेकिन घर में सोने के पात्र तो दूर की बात है लोहे के पात्र भी नहीं है। तब केवट ने कहा कि घर में कठौड़ा जो लकड़ी का पात्र है उसमें आटा गुठते हैं उसमें चरण धोने की बात कही।

इस दौरान आज की कथा में मुख्य यजमान त्रिलोकी नाथ पांडेय, नवनीत पाठक व यजमान बलवीर सिंह जेवां कोठी, लोकेंद्र प्रताप विधायक मोहम्मदी, सुधीर गुप्ता, संजीव बंसल, श्यामबावू सिंह जलालाबाद, रजनीश दीक्षित (लखीमू), पवन सिंह खुदागंज, ,राकेश पांडे ,डॉक्टर हेमेंद्र वर्मा ने श्री रामायण जी की आरती उतारी।

कार्यक्रम में नीता सिंह पत्नी सुरेश राणा कैबिनेट गन्ना मंत्री बतौर मुख्य अतिथि व श्री कृष्ण चन्द्र जी, प्रदीप जी प्रान्त विधि प्रमुख मेरठ, सर्वेश जी विभाग कार्यवाह बरेली बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इस दौरान कथा में आए मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि का समिति के अध्यक्ष नवनीत पाठक ने राम दरबार भेंटकर व श्री राम जी का पटका पहनाकर उनका स्वागत किया।

इस दौरान किशोर गुप्ता, पवन सिंह खुदागंज, ,राकेश पांडे ,डॉक्टर हेमेंद्र वर्मा, संजय गुप्ता,श्याम बाबू दिक्षित,प्रभाकर वर्मा ,राजेश जी संभल, अखिलेश दिक्षित,नमन राजपूत( बरखेड़ा) गौरव जाजू (हल्द्वानी),छोटे लल्लू सिंह ,वर्षा अवस्थी,मंजुला बाथम आदि हजारों भक्तगण उपस्थित रहे।

सम्पादक: डीपी सिंह चौहान/ खोज जारी है न्यूज चैनल/ हिन्दी दैनिक समाचार पत्र की: खास खबर।
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