#हरदोई:- शालीनता और सौम्यता को हथियार बना राजनीति के क्षत्रप बने रामपाल वर्मा निर्दलीय शुरू किया था राजनीतिक सफर। सभी प्रमुख दलों से बन चुके हैं विधायक भाजपा के टिकट पर दोबारा* #विधायक बनने की राह पर, मंत्रिपद के भी हैं दावेदार*
#हरदोई:- शालीनता और सौम्यता को हथियार बना राजनीति के क्षत्रप बने रामपाल वर्मा निर्दलीय शुरू किया था राजनीतिक सफर। सभी प्रमुख दलों से बन चुके हैं विधायक भाजपा के टिकट पर दोबारा*
#विधायक बनने की राह पर, मंत्रिपद के भी हैं दावेदार*
#हरदोई:- शालीनता और सौम्यता को हथियार बना राजनीति के क्षत्रप बने रामपाल वर्मा निर्दलीय शुरू किया था राजनीतिक सफर। सभी प्रमुख दलों से बन चुके हैं विधायक भाजपा के टिकट पर दोबारा*
#विधायक बनने की राह पर, मंत्रिपद के भी हैं दावेदार*
#हरदोई:- शालीनता और सौम्यता को हथियार बना राजनीति के क्षत्रप बने रामपाल वर्मा निर्दलीय शुरू किया था राजनीतिक सफर। सभी प्रमुख दलों से बन चुके हैं विधायक भाजपा के टिकट पर दोबारा*
#विधायक बनने की राह पर, मंत्रिपद के भी हैं दावेदार*
#1985 से राजनीति का सफर शुरू करने वाले रामपाल वर्मा अब किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। सात बार के विधायक रामपाल वर्मा इस विधानसभा चुनाव में भी दमदारी से चुनाव लड़ रहे हैं। क्षेत्र में करवाए गए विकास कार्यों के साथ ही राजनीति में गढ़े गए उनके मानक और कद को देखते हुए इस चुनाव को एकतरफा कहा जा रहा है। राजनीति के विशेषज्ञों का मानना है, बालामऊ* विधानसभा में कोई लड़ाई नहीं है। रामपाल वर्मा ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत अपने पैत्रक गांव शाहपुर से ग्राम प्रधान का चुनाव जीत कर की थी। वो कोथावां ब्लॉक के प्रमुख भी रह चुके हैं*
#रामपाल वर्मा ने विधायी राजनीति की शुरुआत 1985 में बेनीगंज विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीत कर की थी, उस चुनाव उन्होंने बतौर *निर्दलीय 21188 वोट पाकर कांग्रेस के उम्मीदवार चतुरीलाल को हराया था। तब कांग्रेस प्रत्याशी को मात्र14969 वोट ही मिले थे। अपने आप को साबित करने के बाद रामपाल वर्मा ने अगला चुनाव 1989 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ा। इस चुनाव में रामपाल वर्मा ने 33068 मत पाकर निर्दलीय प्रत्याशी बुद्धा को हराया। निर्दलीय प्रत्याशी को केवल 21816 मत ही मिले। इसके बाद रामपाल वर्मा तीसरा* चुनाव भी कांग्रेस के टिकट पर जीत गए*
#उन्हें केवल 1993 व 2002 के चुनाव में ही नजदीकी मुकाबले में हार मिली। 2012 में नए परिसीमन में बालामऊ विधानसभा के गठन के बाद हुए विधानसभा चुनाव में वो सपा के अनिल वर्मा से मात्र 173 वोटों से चुनाव हाए गए थे। तब उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि उसके बाद उन्होंने 2017 में भाजपा के टिकट पर* चुनाव जीत लिया और विधानसभा पहुंचे*
#1985 रामपाल वर्मा निर्दलीय21188 चतुरीलाल कांग्रेस 14969*
#1989 रामपाल वर्मा कांग्रेस 33068 बुद्धालाल कांग्रेस 21816*
मात्र14969 वोट ही मिले थे। अपने आप को साबित *करने के बाद रामपाल वर्मा ने अगला चुनाव 1989 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ा। इस चुनाव में रामपाल वर्मा ने 33068 मत पाकर* निर्दलीय प्रत्याशी बुद्धा को हराया*
#निर्दलीय प्रत्याशी को केवल 21816 मत ही मिले। इसके बाद रामपाल वर्मा तीसरा चुनाव भी कांग्रेस के टिकट पर जीत गए। उन्हे केवल 1993 व 2002 के चुनाव में ही नजदीकी मुकाबले में हार मिली। 2012 में नए परिसीमन में बालामऊ विधानसभा के गठन के बाद हुए विधानसभा चुनाव में वो सपा के अनिल वर्मा से मात्र 173 वोटों से चुनाव हाए गए थे*
#तब उन्होने बसपा के टिकट पर चुनाव
लड़ा था। हालांकि उसके बाद उन्होंने 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत लिया और विधानसभा पहुंचे*
#1985 रामपाल वर्मा निर्दलीय21188 चतुरीलाल कांग्रेस 14969*
#1989 रामपाल वर्मा कांग्रेस 33068 बुद्धालाल कांग्रेस 21816*
#1991 रामपाल वर्मा कांग्रेस 30446 बुद्धालाल भाजपा 29 118*
#1993 सुशीला सरोज सपा40064 प्रेम कुमार* *भाजपा 31138*
#1996 रामपाल वर्मा सपा 51835 सुशीला सरोज भाजपा 37713*
#2002 सत्य नारायण बसपा 37530 रामपाल वर्मा सपा 33630*
#2004 रामपाल वर्मा बसपा34660 सत्यनारायण सपा 24414*
#2007 रामपाल वर्मा बसपा 33769 रमेश भाजपा 23089*
#बालामऊ सुरक्षित*
#2012 अनिल वर्मा * सपा 67800 रामपाल वर्मा बसपा 67627*
#2017 रामपाल वर्मा भाजपा 74917 नीलू सत्यार्थी बसपा 52029*
#हरदोई : शालीनता और सौम्यता को हथियार बना राजनीति के क्षत्रप बने रामपाल वर्मा निर्दलीय शुरू किया था राजनीतिक सफर*
खोज जारी है.24×7 न्यूज चैनल/ हिन्दी दैनिक समाचार पत्र की खास रिपोर्ट...
No comments