Breaking News

#उरई:- जालौन- संत रविदास जी की जयंती गल्ला मंडी मैं बड़े धूमधाम से मनाई#


#उरई:- जालौन- संत रविदास जी की जयंती गल्ला मंडी मैं बड़े धूमधाम से मनाई#

#उरई: जालौन- ट्रेड यूनियन के प्रांतीय उपाध्यक्ष चौधरी राम सिंह के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता भाकपा (माले) द्वारा संत रविदास जी की जयंती गल्ला मंडी मैं बड़े धूमधाम से मनाई, आज पल्लेदार मजदूर यूनियन के बैनर तले रवि जी साहब की जयंती पर पल्लेदार मजदूरों ने उनके सामाजिक न्याय के एजेंडे को पूरा करने के लिए संकल्प लिया और जयंती को धूमधाम से मनाया जयंती के अवसर पर बोलते हुए ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल आफ ट्रेड यूनियंस एक्ट के प्रांतीय उपाध्यक्ष कामरेड राम सिंह चौधरी ने कहा की रविदास जी को दास कहना अनुचित ही होगा वह दास नहीं थी वह भक्ति काल में एक कवि थे और उनके भक्ति काल की कविताओं को लोग अध्याम अध्यात्म से जोड़कर देखते हैं जबकि उन्होंने ऊंच-नीच के ऊपर और समाज में तमाम भेदभाव के खिलाफ एक ऐसा आंदोलन कविताओं के माध्यम से और अपने योगिता के माध्यम से चलाया उन्होंने कहा श्रम सबसे ऊपर उसके मुकाबले गंगा यमुना उसी श्रम में बहती है उस पसीने का मूल लोग अगर जान जाएं तो यह जो भेदभाव है जिसको लोगों ने कर्मकांड के आधार पर बनाया हुआ है यह भेदभाव मिट जाएगा लोग अगर कोई काम करते हैं तो उसको भेदभाव के आधार पर नहीं देखना चाहिए यही उनका सबसे प्रमुख प्रासंगिक प्रश्न था वह कहते थे कि जो सुविधा तमाम सुविधा संपन्न लोगों को मिले वह सुविधा नीचे भी लोगों को प्राप्त हो और सब को बराबरी का दर्जा प्राप्त तो उन्होंने बराबरी के लिए जो गैर बराबरी थी समाज में उसके लिए अनवरत उस भक्ति काल से लेकर जब तक वो रहे उनका जन्म बताते हैं लोग कि काशी बनारस में हुआ था और उनके 5 नाम थे गुरु नानक के तमाम ग्रंथों में उनके साहित्य को देखा जा सकता है वह रामानंद के अनुयाई थे उन्होंने हमेशा छुआछूत से लेकर कुरीतियों के खिलाफ युद्ध स्तर पर अपनी वाणी को चलाते हुए मनुष्य के बीच कविता के माध्यम से एक आंदोलन को जन्म दिया था डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को बाबा साहब कहां गया कबीर को कबीर दास कहने वालों को हमेशा वह ब्राह्मणवादी व्यवस्था याद आती है जबकि उन को मानने वाले लोग कबीर को कबीर साहब कहते हैं इसी तरीके से रवि दास नहीं हो सकते रवि साहब हो सकते हैं क्योंकि उन्होंने उस दौर में वह आंदोलन शुरू किया था जो आज प्रासंगिक है वह भक्ति काल के प्रणेता थे आगे नहीं संदर्भों पर बोलते हुए पल्लेदार मजदूर यूनियन के नेता कामरेड राजाराम बर्मा ने कहा जातिवाद एक जहर इस जहर को पैदा करने वाले लोग आज भी उसी जातिवाद के शिकार हैं जबकि तमाम महापुरुषों और संविधान ने हमें इस जातिवाद के खिलाफ लड़ने के लिए एक पहल थी है रवि सूरज की तरह चमकने वाले दास नहीं थे वह रवि साहब थे जिन्होंने हमें आपको एक रास्ता दिखाया समाज में बराबरी का इन्हीं संदर्भों पर बोलते हुए रामबाबू अहिरवार अशोक बाबू खाते आदि ने भी रवि साहब पर अपने विचार रखें सुर की तरह चमकने वाले सुर का नाम भी रवि और रवि को रैदास कहने वाले लोग आज भी हैं हम चाहते हैं कि रवि साहब एक ऐसे अनुयाई थे वह भक्ति काल के हमारे आपके एक प्रणेता थे जिन्होंने भक्ति काल में उस समय जब केवल अध्यात्म नहीं था उन्होंने अध्यात्म के बीच से एक ऐसा रास्ता खोज निकाला जो बदलने का और बदलाव का रास्ता था सभी ने रवि साहब को उनके जन्मदिन पर उनके अमर होने का कृत्य बताया उन्होंने कहा कि उन्होंने उस पसीने में गंगा को दिखाया वह ही कठौती में गंगा और वह पसीने और मेहनत की गंगा आज मजदूरों के बीच पल्लेदारों के बीच बह रही है आओ हम सब मिलकर रवि साहब को लाखों लाख लाल सलाम पेश करते हैं इंकलाब जिंदाबाद रवि साहब की जयंती प्रमुख रूप सेभाकपा माले के 11 मैं राष्ट्रीय महाधिवेशन की तैयारी में लोगों ने 11वीं राष्ट्रीय महाधिवेशन का पोस्टर लेकर 15 फरवरी 2023 गांधी मैदान पटना होने वाली जन संघर्ष रैली एकता रैली में लोकतंत्र बचाओ फासीवाद हटाओ शहीदों के सपनों का भारत बनाओ के संकल्प के लिएजाने के लिए जालौन जनपद की जनता से ही की और पूरे भारत की जनता से आह्वान किया के चलो आओ बढ़ो पटना गांधी मैदान की ओर जयंती में प्रमुख रूप से पल्लेदार मजदूर यूनियन मंत्री देवी दयाल वर्मा गया प्रसाद उर्फ पप्पू वर्मा संदीप वर्मा रमेश चंद्र अग्रवाल रमन हरिमोहन भगवानदास सुरेश पहलाद अशोक सुरेंद्र छेदीलाल वर्मा प्रकाश राकेश कुमार घनश्याम बाबा इत्यादि सैकड़ों लोग उपस्थित थे#

No comments