#हरदोई:- मल्लावां- रामलीला में राम वनवास का मार्मिक प्रसंग देख दर्शक हुए भावुक#
#हरदोई:- मल्लावां- रामलीला में राम वनवास का मार्मिक प्रसंग देख दर्शक हुए भावुक#
#हरदोई: मल्लावां- श्रीराम व श्री कृष्ण उत्थान समिति मल्लावां के तत्वावधान में स्वर्गीय रामाधार दीक्षित की स्मृति में 73 वें वर्ष आयोजित श्री रामलीला एवं मल्लावां सांस्कृतिक महोत्सव के सातवें दिन मुख्य अतिथि के रूप में सुबोध कुमार वर्मा वरिष्ठ पत्रकार एवं अध्यक्ष मेरा सर्वेश्वर मेरा श्याम समिति मल्लावां हरदोई एवं रामनरेश आर्य वरिष्ठ पत्रकार माधौगंज ने श्रीरामजी व मां सीता जी की आरती उतारकर उन्हें माला पहनाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। कमेटी के अध्यक्ष गिरीश चंद्र कुशवाहा एवं महामंत्री अरुण कुमार शुक्ला पटेल तथा कोषाध्यक्ष हरिश्चंद्र यज्ञ सैनी कमेटी के सचिव राम सिंह कुशवाहा कमेटी के ऑडिटर महेंद्र श्रीवास्तव भाजपा युवा नेता महेश यादव सोनू राठौर आदि ने दोनों अतिथियों को माला पहनाकर स्वागत किया तथा अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।श्री राजीव रामलीला नाटक कला मंच के उच्च कोटि के विद्वान कलाकारों द्वारा श्री रामलीला एवं मल्लावां सांस्कृतिक महोत्सव के सातवे दिन श्रीराम की महिमा का वर्णन किया गया जिसमें राजा दशरथ द्वारा श्रीराम का राजतिलक किए जाने की घोषणा की गई । तब दासी मंथरा ने कैकेई को बहका दिया और उसके बहकावे से अयोध्या में राजा दशरथ की रानी कैकेई ने अपने पुत्र भरत को राज्य श्री राम भगवान को 14 वर्ष का वनवास मांगा। ऐसे दो वरदान मांगे जाने पर अयोध्या में अशांति फैल जाने से सभी लोगों के चेहरे पर उदासी छा गई । राजा दशरथ के मनाने के बावजूद रानी कैकेई जब नहीं मानी तो श्रीराम माता जानकी श्री लक्ष्मण सहित राजर्षि भेष बदलकर कुछ समय के लिए राजा दशरथ ने बनवासी भेष में सुमंत के माध्यम से उन्हें वन को भेज दिया जब सुमंत श्रीराम के बगैर अयोध्या वापस लौटे तो यह सदमा राजा दशरथ बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए जिससे अयोध्या में मातम छा गया और सभी लोग दुःखी हो गए परंतु जब भरत जी को इसकी जानकारी हुई तो दुःखी मन से अपने ननिहाल से अयोध्या पहुंचकर अपनी माता कैकेई को कड़ी फटकार लगाते हुए पिता का दाह संस्कार किया और भरत ने बनवास जाकर राम जी को पिता दशरथ द्वारा प्राण त्याग देने की सूचना दी और उनसे वापस घर लौटने का अनुरोध किया लेकिन श्री राम घर वापस लौटने को तैयार नहीं हुए विवश होकर भरत ने श्री राम भगवान से चरण पादुका लिया और संकल्प लिया कि जब तक श्री राम जी अयोध्या वापस नहीं आएंगे तब तक हम श्री राम के चरण पादुका को ही सिंहासन पर रखकर उन्हें ही राजा मानेंगे। इस प्रकार बहुत ही सुन्दर मार्मिक रामलीला मंचन देख दर्शक बहुत ही भावुक हुए। इस अवसर पर कमेटी के अध्यक्ष गिरीश चंद्र कुशवाहा पत्रकार एवं समाजसेवी कमेटी के महासचिव अरुण कुमार शुक्ला पत्रकार एवं समाजसेवी कोषाध्यक्ष हरिश्चंद्र यज्ञ सैनी ऑडिटर महेंद्र श्रीवास्तव सचिव राम सिंह कुशवाहा समेत भारी तादाद में बच्चे महिलाएं व नागरिक मौजूद रहे#
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