#हरदोई:- पिहानी- माह- ए- रमजान में हर मुसलमान का तरावीह पढ़ना जरूरी/ मौलाना सुलेमान#
#हरदोई:- पिहानी- माह- ए- रमजान में हर मुसलमान का तरावीह पढ़ना जरूरी/ मौलाना सुलेमान#
#हरदोई: पिहानी- कस्बा पिहानी के जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सुलेमान बताते हैं कि कुरआन में नमाज को जन्नत की कुंजी के समान बताया गया है। वैसे तो हर मुसलमान रोजाना पांच वक्त की नमाज अदा करता है, जो कि इस्लाम का बुनियादी हिस्सा है। क्योंकि इस्लाम में अल्लाह और उनके रसूल पर ईमान लाने के बाद मुसलमानों पर नमाज वाजिब है। इसलिए मर्द औरत सभी पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं। माह-ए-रमजान में हर मुसलमान का तरावीह पढ़ना अनिवार्य माना गया है। इसलिए तरावीह की नमाज मर्द और औरत सभी पर फर्ज है#
#मदरसे के प्रबंधक मौलाना कारी बताते हैं कि तरावीह एक खास तरह की नमाज है, जोकि ईशा की नमाज के बाद पढ़ी जाती है। तरावीह अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है आराम या तेहेरना। तरावीह में 20 रकात होते हैं और हर दो-दो रकात के बाद सलाम फेरा जाता है।पुरुषों के लिए तरावीह की नमाज में तिलावत भी करना होता है। तरावीह की नमाज में दुआएं भी पढ़ी जाती हैं#
#तरावीह में 20 रकात नमाजें होती हैं। हर 2 रकात के बाद सलाम फेरा जाता है।10 सलाम में 20 रकात होती हैं और 4 रकात के बाद दुआ पढ़ी जाती है।दुआ में नमाजी परिवार की खुशियां, रोजी-रोजगार में बरकत और देश की सलामती की दुआ मांगते हैं#
#रमजान में तरावीह की दुआ जरूर पढ़नी चाहिए।क्योंकि तरावीह की दुआ के बगैर तरावीह की नमाज अधूरी है। क्या घर पर पढ़ सकते हैं तरावीह#
#तरावीह की नमाज घर और मस्जिद दोनों ही जगह पढ़ी जा सकती है। आमतौर पर महिलाएं घर पर और पुरुष मस्जिद में तरावीह की नमाज पढते हैं। क्योंकि इस्लाम धर्म में महिलाएं मस्जिद नहीं जाती हैं।इसलिए महिलाएं घर पर ही तरावीह की नमाज पढ़ती हैं। वहीं अगर पुरुष बीमार हो, वृद्ध हो या किसी कारण मस्जिद जाने में असमर्थ हों तो वह भी तरावीह की नमाज घर पर पढ़ सकते हैं। बता दें कि तरावीह की नमाज पढ़ने में लगभग दो घंटे का समय लगता है#
#जब आप मस्जिद में तरावीह पढ़ते हैं तो मौलाना आदि कोई पूरी कुरआन सुना देता है। लेकिन घर पर ऐसा नहीं किया जा सकता है, अगर वह हाफिज न हो। इसलिए घर पर चुनिंदा सूरत ही पढ़ी जाती है#
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