पुलिस (व) पत्रकारों की एक ही राशि दोनों एक दूसरे के प्रेरक
***अन्वेषी रिपोर्टर और पुलिस***
पुलिस (व) पत्रकारों की एक ही राशि दोनों एक दूसरे के प्रेरक
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डीपी सिंह चौहान (सम्पादक) खोज जारी है न्यूज चैनल/हि०दै० समाचार पत्र: (यू०पी)
पुलिस और पत्रकारों की एक ही राशि दोनों एक दूसरे के प्रेरक और पूरक हैं पुलिस का कार्य अपराधों का अन्वेषण और अपराधियों को पकड़ना है । जबकि पत्रकारों का कार्य अपराधों की जानकारी और पुलिस की कार्यवाही को जनता तक संप्रेषित करना है । पत्रकार चाहता है कि अपराध संबंधी सभी तथ्यों को पुलिस बतला दे । पुलिस के समक्ष संकट उपस्थित रहता है । कि वह पत्रकार को कितना बतलाए और क्या बतलाए ताकि भविष्य में जांच-पड़ताल का कोई बुरा असर ना पड़े पत्रकार गोपनीयता के पर्दे को भी हटाता है और पत्र पाठकों को वस्तुस्थिति की जानकारी देता है।
किसी भी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन में झांकने, हस्तक्षेप, करने, बिना अनुमति के फोटो खींचने,फोन टेप करने , डाक पत्र खोलने का अधिकार किसी पत्रकार को प्राप्त नहीं है लेकिन साधन संपन्न वर्ग की गोपनीयता का अधिकार सामान्य जन को सूचना के अधिकार से वंचित करता है । कुछ पत्रकारों की मान्यता है कि पुलिस संवेदनशील सामाजिक और पैसे की भूखी संस्था है । पुलिस की धारणा है कि पत्रकार पगड़ी उछालने और कीचड़ उछालने वाले छुटभैये हैं ।इसी दृष्टि दोष के कारण पुलिस और पत्रकार तनावग्रस्त होते हैं । यदि उनमें मधुर संबंध स्थापित हो तो अपराध के संगीन मामले सरलता से पकड़ में आ जाएं कभी-कभी मिलीभगत कर अपराधों पर सदैव के लिए परदा भी डाला जा सकता है।।।
सिलसिला: खबरों का/ गांव से गव से सड़क/ सड़क से संसद तक बने रहिए खोज जारी है... न्यूज़ चैनल के साथ मो0945355 57242
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पुलिस और पत्रकारों की एक ही राशि दोनों एक दूसरे के प्रेरक और पूरक हैं पुलिस का कार्य अपराधों का अन्वेषण और अपराधियों को पकड़ना है । जबकि पत्रकारों का कार्य अपराधों की जानकारी और पुलिस की कार्यवाही को जनता तक संप्रेषित करना है । पत्रकार चाहता है कि अपराध संबंधी सभी तथ्यों को पुलिस बतला दे । पुलिस के समक्ष संकट उपस्थित रहता है । कि वह पत्रकार को कितना बतलाए और क्या बतलाए ताकि भविष्य में जांच-पड़ताल का कोई बुरा असर ना पड़े पत्रकार गोपनीयता के पर्दे को भी हटाता है और पत्र पाठकों को वस्तुस्थिति की जानकारी देता है।
किसी भी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन में झांकने, हस्तक्षेप, करने, बिना अनुमति के फोटो खींचने,फोन टेप करने , डाक पत्र खोलने का अधिकार किसी पत्रकार को प्राप्त नहीं है लेकिन साधन संपन्न वर्ग की गोपनीयता का अधिकार सामान्य जन को सूचना के अधिकार से वंचित करता है । कुछ पत्रकारों की मान्यता है कि पुलिस संवेदनशील सामाजिक और पैसे की भूखी संस्था है । पुलिस की धारणा है कि पत्रकार पगड़ी उछालने और कीचड़ उछालने वाले छुटभैये हैं ।इसी दृष्टि दोष के कारण पुलिस और पत्रकार तनावग्रस्त होते हैं । यदि उनमें मधुर संबंध स्थापित हो तो अपराध के संगीन मामले सरलता से पकड़ में आ जाएं कभी-कभी मिलीभगत कर अपराधों पर सदैव के लिए परदा भी डाला जा सकता है।।।
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