#हरदोई:- रामायण में छिपा है जीवन का सार-अतुल कपूर, रामलीला व रासलीला का हुआ भव्य समापन#
#हरदोई:- रामायण में छिपा है जीवन का सार-अतुल कपूर, रामलीला व रासलीला का हुआ भव्य समापन#
#हरदोई: हरियावां- क्षेत्र के ग्राम मंसूर नगर में चल रही रामलीला व रासलीला के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर गायत्री प्रज्ञा पीठ के प्रमुख ट्रस्टी अतुल कपूर ने उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं है बल्कि यह मनुष्य को जीवन की सीख देता है। रामायण में जहां भगवान राम को पुरूषोत्तम कहा गया है तो वही मां सीता की पवित्रता दर्शायी गई है। लक्ष्मण और भरत दोनों ही का अपने भाई के प्रति अथाह प्रेम दिखाया गया है। रामायण के हर एक चरित्र से कुछ न कुछ शिक्षा अवश्य प्राप्त होती है। यदि व्यक्ति रामायण को पूजने के साथ उससे मिलने वाली सीख को अपने जीवन में अनुसरण करे तो वह एक सफल जीवन व्यतीत कर सकता है#
#धैर्य और गंभीर बनें/ अतुल कपूर ने कहा कि रामायण में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी तीनों ने ही चौदह वर्षों तक विपरीत परिस्थितियों में भी संयम के साथ समय व्यतीत किया। रामायण की इस बात से सीख मिलती है कि व्यक्ति को हर परिस्थिति में संयम# बरतना चाहिए। जो व्यक्ति सुख एवं दुख में संयम और धैर्य बनाए रखता है। वह विषम परिस्थितियों से लड़कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है#
#परिवार में एकता बनाएं रखें# गायत्री प्रज्ञा पीठ के प्रमुख ट्रस्टी श्री कपूर ने कहा कि जब प्रभु श्री राम को वनवास दिया गया तो उनके भाई लक्ष्मण सभी सुखों का त्याग करके उनके साथ वन को गए और अपने भ्राता श्री एवं भाभी को माता समान मानते हुए उनकी सेवा में चौदह वर्ष व्यतीत किए। तो वहीं भरत ने भगवान राम की खड़ाउ को सिंहासन पर रखकर उनको शासक मानते हुए राज-काज संभाला। इससे सीख मिलती है कि परिवार में सदैव एकता रखनी चाहिए। भाई यदि भाई के साथ हो तो विषम परिस्थितियों को भी आसानी से पार किया जा सकता है। इसलिए परिवार में प्रेम और एकता बनाएं रखने चाहिए।उपस्थित भक्तों से श्री कपूर ने कहा कि अपने पिता की आज्ञा और वचन को निभाने के लिए चौदह वर्षों का वनवास स्वीकार किया। इससे सीख लेनी चाहिए कि चाहे परिस्थितियां जैसी भी हो हर संतान को अपनी माता पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए। माता पिता ही इस पृथ्वी पर लाते हैं और आपको जीवन जीने के योग्य बनाते हैं, इसलिए संतान वही योग्य है जो अपने माता पिता का ध्यान रखें और उनकी आज्ञा का पालन करे। माता-पिता के आशीर्वाद से कठिन परिस्थिति में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है#
#जब रावण ने माता सीता का हरण किया तो राम जी उस समय अपना आत्मविश्वास नहीं डगमगाने दिया उन्होंने सभी को एकत्रित करके समुद्र पर सेतु की निर्माण किया और रावण का वध करके माता सीता को वापस लाए। इससे सीख मिलती है कि यदि योजना बनाकर एकता के साथ कार्य किया जाए तो कठिन से कठिन कार्य भी पूरा किया जा सकता है और लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है#
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