#हरदोई:- शाहाबाद- कवियों ने कविताओं से बांधा शमां,श्रोतगण हुए मंत्रमुग्ध#
#हरदोई:- शाहाबाद- कवियों ने कविताओं से बांधा शमां,श्रोतगण हुए मंत्रमुग्ध#
#हरदोई: शाहाबाद- श्रीराम लीला पठकाना में सम्पन्न हुये विराट कवि सम्मेलन में दूर दराज से आये कवियों ने अपनी ओजपूर्ण कविताओं से सभी का मन जीत लिया।श्रोतागण पांडाल से उठने की हिम्मत नही जुटा पाये और पूरी रात आनन्द लेते रहे।कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी के पुत्र आदि तिवारी ने फीता काटकर कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।मुख्य अतिथि आदि तिवारी ने रामलीला अध्यक्ष संजय मिश्रा बबलू व अनिल पाण्डेय पिन्टू के साथ हनुमान जी और मां सरस्वती की प्रतिमा पर द्वीप प्रज्वलित किया। कवियत्री अंकिता शुक्ला ने सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मलेन का कुछ इस तरह आगाज किया,कि दो तुम्हारे नयन दो हमारे नयन,इसके अलावा उन्होंने बेटियों की बेचैनी का हाल कुछ इस तरह पढ़ा कि कब तलक खलती रहेंगी बेटियां। कब तलक मरती रहेगी बेटियां।कोख मां की अंकिता मजबूर है,आग में जलती रहेगी बेटियां।दिल्ली से पधारे कवि अजय मिश्र दबंग ने अपनी मातृभूमि के मंच पर वीर रस की रचनाओं से श्रोताओं में जोश भरा कि जिनकी देह पार्थिव भी दुश्मन के भय का कारण थी।जिनके पिस्टल की गोली आजादी का उच्चारण थी।सारा जीवन न्यौछावर है उस अनमोल जवानी पर,कितने चरखे कुर्वान करूं मैं शेखर की कुर्बानी पर।सीतापुर से पधारे संदीप सरस ने पढ़ा कि हमें ये खाली खाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती।छलावों से उबाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती। हमारा हक हमें दे दो या सब कुछ छीन लो हमसे,हमें बीच वाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती।लखीमपुर से पधारे कवि राजेंद्र तिवारी कंटक ने ये चमन ये सुमन ये पवन ये किरन मेरा दहका बदन मेरे बहके नयन।। सीतापुर से पधारे कवि अवनीश त्रिवेदी अभय ने पढ़ा कि जल रहे घर का तमाशा नहीं देखा हमने। साथ चलने का मुनाफा नहीं देखा हमने।जंग बहादुर गंज से पधारे सुनीत वाजपेई ने पढ़ा कि रोता हुआ देखकर मां को खुद शहीद रोते होंगे। जैसा छोड़ गए थे हम,अब वैसा हिंदुस्तान कहां। प्रतापगढ़ से पधारे कवि आशुतोष तिवारी आशू ने कुछ इस तरह पढ़ा कि जाड़ा लगता है मुझे जब भी रजाई छीन लेती है।सदा सेहत बनाने को मलाई छीन लेती है। अध्यक्षता कर रहे कवि सतीश शुक्ल ने कुछ इस तरह पढ़ा कुत्ता कहता शेर से, सुन ले मेरे लाल। तू पिंजरे में कैद है मैं खाता तर मॉल। अभिनव दीक्षित ने पढ़ा बेटियों का बाप बन इतरा रहा हूं प्रश्न मन में है उसे उलझा रहा हूं। करुणेश दीक्षित सरल ने पढ़ा कि चांद अकेला नहीं जंचता यदि तारों की अगवानी ना होती। होती अमावस ही जग में, यदि चांदनी रात सुहानी ना होती।कवि और पत्रकार ओम देव दीक्षित अजीब शाहाबादी ने यूं कहा कि सीमाएं पार अगर कर दीं, लाशों के ढेर लगा देंगे।नापाक इरादों के प्यादों जिंदा न तुम्हें जानें देंगे।कार्यक्रम के समापन पर कवियों को माल्यार्पण कर प्रमाणपत्र व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। कवि सम्मलेन के मुख्य संयोजक पप्पू दीक्षित, करुणेश दीक्षित,डॉ0पुनीत मिश्रा के अलावा ऋषिकुमार मिश्रा, मधुप मिश्रा, आशीष मोहन तिवारी, पुष्पेंद्र मिश्रा, विंदेश मिश्रा, एडवोकेट आनंद द्विवेदी, दीपक तिवारी, चंद्र प्रकाश तिवारी सहित बड़ी संख्या में श्रोतागण सारी रात उपस्थित रहे#
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