#हरदोई:- मल्लावां- नौवें दिन डा०अरविंद सिंह द्वारा श्रीराम सीता की आरती उतारकर रामलीला का शुभारंभ#
#हरदोई:- मल्लावां- नौवें दिन डा०अरविंद सिंह द्वारा श्रीराम सीता की आरती उतारकर रामलीला का शुभारंभ#
#हरदोई: मल्लावां- श्रीराम एवं श्रीकृष्ण उत्थान समिति मल्लावां के तत्वाधान में स्वर्गीय रामाधार दीक्षित की स्मृति में 73 वें वर्ष आयोजित रामलीला सांस्कृतिक महोत्सव के नौवें दिन रामलीला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम व सीताजी की आरती उतारने के लिए मुख्य अतिथि के रूप में पधारे सुप्रसिद्ध चिकित्सक डा०अरविंद सिंह माधौगंज ने आरती उतारी और माला पहनाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष गिरीश चंद्र कुशवाहा एवं महामंत्री अरुण कुमार शुक्ला पटेल तथा कोषाध्यक्ष हरिश्चंद्र यज्ञ सैनी अनिल कुमार मिश्रा एडवोकेट कमेटी के सचिव राम सिंह कुशवाहा कमेटी के ऑडिटर महेंद्र श्रीवास्तव भाजपा युवा नेता महेश यादव आदि ने मुख्य अतिथि को माला पहनाकर भव्य स्वागत किया तथा उन्हें शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। सांस्कृतिक महोत्सव के नौवें दिन भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता पंचवटी में बैठे थे तभी रावण की बहन सूर्पनखा पंचवटी में आ गई और उसने श्रीरामजी से अपनी शादी करने का प्रस्ताव रखा और सीता माता को अशब्दों का प्रयोग करने लगी फिर सूर्पनखा अपना रूप राक्षसी में बदलकर राम जी और लक्ष्मण जी के पास बारी-बारी पहुंच शादी करने का दबाव बनाने लगी श्रीरामजी व लक्षमणजी द्वारा शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर सूपनखा हमलावर अंदाज में मां सीता की ओर झपटी तभी श्रीराम के इशारे पर लक्ष्मण ने सूपनखा के नाक कान काट लिये। जिससे खर दूषण का राम के साथ युद्ध हुआ और दोनों युद्ध में मारे गए तब सूर्पनखा रावण के पास गई और सारी आपबीती बताई जिससे रावण को अत्यधिक गुस्सा आया और मामा मारीच के पास जाकर सोने का हिरण बनकर राम की कुटिया के पास भेज दिया । जहां मां सीताजी मायावी सोने का हिरन देख प्रलोभन में आकर्षित हो गई उन्होंने श्रीराम जी से सोने का हिरन वध कर लाने की इच्छा जताई। जब श्रीराम उसका शिकार करने के लिए उसके पीछे पीछे काफी दूर चले गये तभी मारीच (मायावी हिरन )ने राम की आवाज में हाय राम हाय राम की पुकार लगाई जैसे ही सीताजी को वह आवाज़ सुनाई पड़ी उन्होंने लक्ष्मण जी को श्री राम जी पर संकट की आशंका जताते हुए उनकी सहायता करने के लिए उनके पास भेजा। तभी रावण साधु का भेष बनाकर कुटिया में अकेली सीता माता से भिक्षा मांगने का ढोंग कर उनका हरण कर लिया ।इसके बाद वापस लौटने पर जब श्री राम और लक्ष्मण ने सीता को कुटिया में नहीं पाया तो वह बहुत दुःखी हुए और इधर उधर सीता को दूर दूर तक खोजते रहे। जंगल के रास्ते में घायल पड़े जटायु को देख श्रीराम ने उससे ब्यथा पूछी तो घायल जटायु ने उन्हें सीताजी के बारे में पूरी बात बताई और अपने प्राण त्याग दिए। इस अवसर अवसर पर कमेटी के अध्यक्ष गिरीश चंद्र कुशवाहा पत्रकार एवं समाजसेवी कमेटी के महासचिव अरुण कुमार शुक्ला पत्रकार एवं समाजसेवी विधि सलाहकार अनिल कुमार मिश्रा कोषाध्यक्ष हरिश्चंद्र यज्ञ सैनी ऑडिटर महेंद्र श्रीवास्तव सचिव राम सिंह कुशवाहा सन्दीप कुमार आदि लोग मौजूद रहे#
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